सभी 20 हजार इंजनों को मिलेगा ‘सुरक्षा कवच’
भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर हादसों को रोकने को ‘कवच’ प्रणाली पर बड़े पैमाने पर तेजी से काम करने को कमर कस ली है।
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मौजूदा समय में चल रहे कवल प्रणाली की परियोजनाओं के अलावा सबसे पहले भारतीय रेलवे के सभी 20 हजार लोको (इंजन) को कवच उपकरण से लैस किया जाएगा।
इसका फायदा यह होगा कि जैसे-जैसे रेललाइनों और स्टेशन आदि पर कवच के उपकरण लगते जाएंगे वैसे-वैसे लोको में लगे कवच प्रभावी रूप से काम करते जाएंगे। इस बार के बजट में केवल कवच के लिए विशेष तौर पर 11 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
दरअसल, भारतीय रेलवे के सभी लोकोमोटिव (इंजन) को सबसे पहले कवच उपकरण से इसलिए लैस किया जाएगा, क्योंकि ये इंजन देशभर के सभी हिस्सों में स्थिति भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर चलते हैं। यदि किसी हिस्से में रेल नेटवर्क पर कुछ किलोमीटर पर पूरी तरह से कवच पण्राली लग जाती है तो वहां रेललाइनों पर पहले से सुसस्जित इंजन स्वत: कवच प्रणाली के सम्पर्क में आ आएंगे और वे काम करने लगेंगे। इससे उस रेल नेटवर्क पर ट्रेनों को टक्कररोधी हादसे से सौ प्रतिशत सुरक्षा मिल जाएगी।
हाल ही में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे ने कवच 4.0 के संस्करण को अंतिम मंजूरी दी है। इस प्रणाली के पांच उपकरणों को पांच जगहों पर लगाकर पूरे नेटवर्क को लैस किया जाता है। इसमें पहला ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) को रेलवे नेटवर्क के साथ बिछाया जाता है।
दूसरा टेलीकॉम सिग्नल के लिए नेटवर्क साथ-साथ टॉवर बनाये जाते हैं। पर्वतीय इलाकों में यह अधिकतम हर पांच किलोमीटर की दूरी और अन्य इलाकों में अधिकतम हर 12 किलोमीटर की दूरी पर होता है। तीसरा रेलवे स्टेशन पर डेटा सेंटर स्थापित किया जाता है।
चौथा रेललाइनों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटीफिकेशन (आरएफआईडी) डिवाइस लगाया जाता है। पांचवां लोकोमोटिव में आरएफआईडी रीडर, एक कम्प्यूंटर और ब्रेक इंटरफेस उपकरण लगाया जाता है।
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