बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती आज, PM मोदी और अमित शाह ने स्वतंत्रता सेनानियों को दी श्रद्धांजलि

Last Updated 23 Jul 2024 10:03:40 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।


मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लोकमान्य तिलक को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। उन्हें भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हमेशा एक महान व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्वलित करने के लिए अथक प्रयास किया और साथ ही शिक्षा व सेवा पर जोर दिया।"



इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने पुणे में पिछले साल आयोजित एक कार्यक्रम में अपने भाषण का वीडियो लिंक भी साझा किया। इस कार्यक्रम में उन्हें लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें एक ऐसा निडर नायक बताया, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध था।

मोदी ने कहा, "उनके आदर्श और विचार लाखों लोगों, खासकर युवाओं के दिलो-दिमाग में आज भी गूंजते रहते हैं।"


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। उन्होंने कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को उनकी जयंती पर कोटिशः वंदन। तिलक महाराज ने स्वदेशी, स्वराज व स्व-संस्कृति के प्रति देशवासियों का पुनर्जागरण किया और स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन में बदलकर उसे नई दिशा दी।

साथ ही उन्होंने शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि अपनी देशभक्ति और क्रांतिकारी विचारों से अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा देने वाले चंद्रशेखर आजाद के लिए मां भारती के गौरव से बढ़कर कुछ नहीं था। उन्होंने स्वाधीनता के ध्येय के साथ युवाओं को जोड़ आजादी के आंदोलन को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई।

संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर, मैं खुद को उनकी शक्तिशाली विरासत पर विचार करते हुए पाता हूं। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे और जो हमारे मिशन को आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जा रहे हैं। भारतीय मूल्यों, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रति उनका समर्पण वास्तव में प्रेरणादायक है।”

उत्तर प्रदेश में 1906 में जन्मे आजाद ने एक क्रांतिकारी नेटवर्क चलाया था और अंग्रेजों के हाथों कभी भी नहीं पकड़े जाने की प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने ‘आजाद’ बने रहने के अपने संकल्प पर कायम रहते हुए, 1931 में पुलिस के साथ मुठभेड़ के दौरान खुद को गोली मार ली थी।

वहीं, 1856 में जन्मे तिलक अखिल भारतीय स्तर पर लोकप्रिय उन नेताओं में से एक थे, जो आजादी के आंदोलन के दौरान उभरे थे।
 

भाषा
नई दिल्ली


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