Rafale Marine deal : भारतीय नौसेना को जल्द मिलेंगे फ्रांस से 26 राफेल-समुद्री लड़ाकू जेट

Last Updated 21 Dec 2023 06:25:57 AM IST

फ्रांसीसी सरकार ने 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए भारत की निविदा पर औपचारिक प्रतिक्रिया पेश की है, जिसमें भारतीय नौसेना के विमान वाहक - आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) और आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) के लिए सौदे की नियम-शर्तें और मूल्य निर्धारण शामिल हैं। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने दी।


राफेल मरीन सौदा

रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह डील करीब 50,000 करोड़ रुपये की हो सकती है। भारत के स्वीकृति पत्र (एलओए) के जवाब में फ्रांस ने अब नई दिल्ली में अपनी बोली जमा कर दी है।

अन्य देशों में सैन्य बिक्री से जुड़े फ्रांसीसी सरकारी अधिकारियों की एक टीम भारतीय निविदा पर बोली लगाने के लिए पेरिस से आई है।

इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने फ्रांसीसी सरकार से भारतीय नौसेना के लिए संबंधित सहायक उपकरण, हथियार, सिम्युलेटर, स्पेयर, दस्तावेज, चालक दल प्रशिक्षण और रसद समर्थन के साथ 26 राफेल-समुद्री लड़ाकू जेट की खरीद के लिए अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) के जरिए स्वीकृति (एओएन) प्रदान की है।

मंत्रालय ने कहा कि अन्य देशों द्वारा समान विमान की तुलनात्मक खरीद कीमत सहित सभी प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखने के बाद कीमत और खरीद की अन्य शर्तों पर फ्रांसीसी सरकार के साथ बातचीत की जाएगी।

भारतीय डिज़ाइन किए गए उपकरणों के एकीकरण और विभिन्न प्रणालियों के लिए रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) हब की स्थापना को उचित बातचीत में अनुबंध दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा।

प्रस्तावित सौदे के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय को एक विस्तृत अनुरोध पत्र (एलओआर) भी जारी किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि इसमें 22 सिंगल-सीट जेट और चार ट्विन-सीट ट्रेनर के साथ-साथ हथियार, सिम्युलेटर, स्पेयर, क्रू ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट शामिल थे।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, फ्रांस ने अब अपनी पेशकश, कीमत और अन्य विवरण के साथ जवाब दिया है।

लागत पर बातचीत और सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की अंतिम मंजूरी के बाद एक बार अनुबंध पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद डिलीवरी तीन साल में शुरू हो जाएगी।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, विमान और पनडुब्बियों की फौरन जरूरत है, क्योंकि भारतीय नौसेना कमी का सामना कर रही है और विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत है।

विमान वाहक - आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत - मिग -29 का संचालन कर रहे हैं और दोनों वाहकों पर संचालन के लिए राफेल की जरूरत है।

एक सूत्र ने बताया कि इन सौदों की कीमत हजारों करोड़ रुपये होने का अनुमान है, लेकिन अंतिम लागत अनुबंध पर बातचीत पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगी।

एक अधिकारी ने कहा, भारत कीमत में कुछ रियायत मांग सकता है और इसमें 'मेक इन इंडिया' सामग्री पर अधिक ध्यान देने पर भी जोर दे सकता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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