सहाराश्री का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से दी अंतिम विदाई
सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक, प्रणेता, मुख्य अभिभावक और समूह के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन माननीय ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा का पार्थिव शरीर गुरूवार को ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, सहाराश्री का नाम रहेगा, सहाराश्री अमर रहें के गगनभेदी नारों के बीच पंच तत्व में विलीन हो गया।
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यहां बैकुंठधाम में सहाराश्री को मुखाग्नि उनके पौत्र हिमांक रॉय व कुशान रॉय ने दी। अंतिम यात्रा शुरू होने से ठीक पहले सहाराश्री की पत्नी और हम सभी की बड़ी भाभी जी आदरणीया श्रीमती स्वप्ना रॉय ने मुख में तुलसीदल व गंगाजल समर्पित कर अपने जीवन साथी को अंतिम पण्राम किया। सहाराश्री की छोटी बहन व अधिशासी निदेशक श्रीमती कुमकुम रॉय चौधरी ने भी अश्रुपूरित विदाई दी।
सहाराश्री की अंतिम यात्रा सहारा शहर स्थित स्वप्ना कुटी से अपराह्न 2.10 पर शुरू हुई। सबसे पहले पार्थिव शरीर को वहां ले जाया गया, जहां सहाराश्री संस्था की प्रगति और नये आयामों को बैठकर अंतिम रूप दिया करते थे। इस यात्रा को ‘रेजीडेंस’ पर करीब पांच मिनट तक रोका गया। उसके बाद यात्रा भारत माता की छवि होकर प्रांगण में स्थापित सहाराश्री की मां श्रीमती छबि रॉय व बाबूजी सुधीर चन्द्र रॉय की प्रतिमा स्थल पर पहुंची। यहां मां-बेटे, पिता-पुत्र के मिलन को देखकर मौजूद लोग फफक-फफक कर रो पड़े। सहाराश्री सदैव सहारा शहर में प्रवेश करते व जाते समय मां-बाबूजी को निहारते हुए पण्राम करके ही गतंव्य पर रवाना होते थे। आज भी वैसा -ही लगा जैसे सहारा शहर को हमेशा के लिए छोड़ने के पहले मां-बाबूजी का आशीर्वाद लेकर ही सहाराश्री प्रभु के चरणों में स्थान पाने को रवाना हो रहे हों।
यात्रा बैंकुंठ धाम के लिए ज्यों ही सहारा शहर के मुख्य द्वार से बाहर पहुंची वहां पहले से ही बड़ी तदाद में मौजूद शुभचिंतक सहाराश्री अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा सहाराश्री का नाम रहेगा, देश ने खो दिया अनमोल लाल, सहाराश्री थे बेमिसाल’ सहित कई नारों से लोग अपने मुख्य अभिभावक को विदाई दे रहे थे। साथ ही हर शख्स अपने मोबाइल से सहाराश्री की अंतिम छवि को कैद करने के लिए आतुर दिखे। बैकुंठ धाम पर सहारा इंडिया परिवार के उप प्रबंध कार्यकर्ता श्री ओपी श्रीवास्तव, सहाराश्री के छोटे भाई उप प्रबंध कार्यकर्ता जेबी रॉय, उनके बेटे, सहाराश्री के पौत्र, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अभिजीत सरकार, सहाराश्री के भांजे सम्राट नियोगी,अधिशासी निदेशक वीएस डोगरा, सीनियर एडवाइजर अनिल विक्रम सिंह, अधिशासी निदेशक एसबी सिंह, अधिशासी निदेशक अलख सिंह के साथ अन्य सदस्य सहाराश्री के पार्थिव शरीर को कांधा देकर मुखाग्नि देने के लिए बनाये गये प्लेटफार्म पर लेकर पहुंचे। यहां चंदन की लकड़ी से चिता सजी थी। मंत्रोच्चार के बीच सहाराश्री को उनके पौत्रों ने मुखाग्नि दी। तो एकबार फिर धरती से लेकर आसमान तक सहाराश्री अमर रहें के नारों से गूंज उठा। मुखाग्नि के समय जहां एक ओर सूरज अस्त हो रहा था वहीं सहाराश्री पंचतत्व में विलीन हो रहे थे।
सहाराश्री को अंतिम विदाई देने के लिए अनेक हास्तियां उमड़ीं और उन्हें सभी ने गमगीन मन और नम आंखों से अंतिम विदाई दी। इस मौके पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता व सांसद प्रमोद तिवारी, यूपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अभिनेता राज बब्बर, सिने कलाकार अनूप सोनी, लखनऊ के विधायक नीरज बोरा, बस्ती हरैया के विधायक अजय कुमार सिंह, पूर्वमंत्री राजेन्द्र चौधरी, बीबीडी ग्रुप के चेयरमैन विराज दास सागर के साथ सहारा इण्डिया परिवार के मुख्यालय से लेकर जिलों तक से आये बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।
इससे पहले सहाराश्री के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि देने के लिए भी बड़ी संख्या में सभी वर्ग की हस्तियां सहारा शहर पहुंची। लखनऊ की महापौर सुषमा खरकवाल, भाजपा सांसद व पूर्व डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी, सिने कलाकार गायक सोनू निगम, निर्माता निर्देशक बोनी कपूर के साथ बड़ी संख्या में राजनीति, फिल्म जगत, सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग अपने प्रिय सहाराश्री को नमन करने पहुंचे थे।
सागर जैसा मातम है, इन भीगी-भीगी आंखों में
कभी खुशियों और उल्लास के समन्दर में डूबा रहने वाला गोमतीनगर का सहारा शहर गुरूवार को हजारों आंखों की आंसुओं और मातम के समंदर का गवाह बना। मौका था भारत माता के सपूत और सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय सहारा को अंतिम विदाई देने का। आंसुओं के इस सैलाब ने यहां भारतीयता की अनूठी पटकथा को गढ़ डाला। जिसमे ऊंच-नीच, जाति-धर्म और दलगति राजनीति के सभी बंधन टूटे। चाहे किसी भी दल का राजनेता हो या फिल्मी दुनिया की हस्तियां अथवा सहारा परिवार का कोई छोटा-बड़ा कार्यकर्ता, हर किसी ने इन बंधनों को तोड़कर भारत माता के उस महान आत्मा को अपनी भीगी पलकों और आंसुओ के साथ नमन किया, जो जिन्दगी भर देश और दूसरों की खुशियों के लिये लड़ता रहा। खुशियों की इसी तलाश में उन्होने सहारा समूह जैसे बड़े परिवार का सृजन करके रेलवे के बाद देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाली संस्था का जन्तदाता बने।
बुधवार की शाम करीब पांच बजे से गुरूवार को दोपहर एक बजे तक गोमतीनगर के सहारा शहर में आंसुओं का जो सैलाब बहा, वह पूरे 20 घंटे बिना रुके, बिना थमे आगे बढ़ता गया और बड़े समंदर में तब्दील हो गया। चाहे आधी रात का वक्त रहा हो या भोर का समय, आंसुओं के इस सैलाब ने कभी थमने का नाम नही लिया। घड़ी की सुइयां आगे बढ़ने के साथ आंसुओं का यह सैलाब भी बढ़ता गया। सहारा शहर में आंसुओं का यह सैलाब उस वक्त थमा जब सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय सहाराश्री का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिये बैकुंठधाम के लिये रवाना हुआ। हालांकि जनाजे के साथ चल रही हजारों आंखों के आंसू फिर भी नही रुके। सफेद रंग के फूले से संजे रथ पर सहाराश्री का पार्थिव शरीर जिन-जिन रास्तों से होकर गुजर, वहां की सड़के लोगों के आसुओं से भींगती गई।
पार्थिव शरीर के साथ चल रहे कारवां को आगे बढ़ाने के लिये सड़कों के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था, जो यातायात का नियंत्रित करने के साथ-साथ भारत माता के इस सपूत को नमन भी कर रहा था। अंतिम दर्शन के लिये सड़कों के आसपास बने मकानों में लोग मौजूद थे। मंगलवार को मुम्बई में निधन के बाद सहारश्री का पार्थिव शरीर कल शाम गोमतीनगर के सहारा शहर स्थित स्वप्न कुटी के बड़े हाल में अंतिम दर्शन के लिये रखा गया था। जिसमे धार्मिक धुनों का शोक संगीत सुनाई दे रहा था। कक्ष में परिवार के सदस्य मौजूद थे और लोग सहाराश्री को नमन करके उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे।
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