G20 Summit: मेहमानों को परोसा जाएगा चांदी के बर्तन में खाना, मिलेगी भारतीय संस्कृति की झलक

Last Updated 06 Sep 2023 11:28:54 AM IST

राजधानी दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। खास मेहमानों को चांदी के बर्तनों में खाना परोसा जाएगा। जिसमें भारत की संस्कृति और विरासत की झलक देखने को मिलेगी।


प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने वाले विदेशी मेहमानों को चांदी के बर्तनों में खाना परोसा जाएगा। इसके लिए विशेष तौर पर चांदी के बर्तनों को डिजाइन किया गया है। आयोजन में शामिल होने वाले सभी मेहमान एक साथ इन बर्तनों में खाना खा सकेंगे।

जयपुर के आईआरआईएस मेटल वेयर ने 45 दिनों में 160 किलो चांदी से इन विशेष 15 हजार बर्तनों को बनाया है। इन बर्तनों को बनाने में 200 लोगों ने रात दिन काम किया है।

आईआरआईएस के मुख्य डिजाइनर राजीव पाबुवाल ने बताया कि  जी20 शिखर सम्मेलन में आने वाले अतिथियों के खाने के लिए बर्तन डिजाइन करते समय यह विशेष ध्यान रखा गया है कि वह इंडियन हेरिटेज और कल्चर का प्रतिनिधित्व कर रहे हों। इसमें जो वेलकम प्लेट डिजाइन किया गया है उसमें अशोक चक्र को दर्शाया गया है। इसी प्लेट से विदेशी मेहमानों को तिलक लगाया जाएगा। इसके अलावा जो खाने के बर्तन बनाए गए हैं उनमें भारत की विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिबिंब दिखाई दे रहा है।

जहां तक चांदी के बर्तन का सवाल है तो राजीव पाबुवाल के अनुसार यही एक ऐसा धातु है जो सबसे ज्यादा फूड सेफ है। यहीं वजह है कि राजा- महाराजा चांदी के बर्तन में ही खाना खाते थे। राजीव की माने तो दिल्ली के जितने भी होटल है, जहां विदेशी मेहमान ठहरेंगे, उन सभी होटलों ने उनके बनाए चांदी के बर्तन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसके अलावा अभी जी20 का देश के 60 अलग-अलग शहरों में जो कार्यक्रम पिछले दिनों हुए थे, उन तमाम जगहों पर उनके बनाए बर्तनों का ही इस्तेमाल हुआ है। इनके बनाए बर्तनों में विदेशी मेहमानों को खाना खिलाने का सिलसिला भारत में 1982 में हुए एशियन गेम्स के साथ शुरू हुआ और उस समय 900 लोगों के लिए महाराजा थाली तैयार की गई थी।

भारत मंडपम में सजेगा देश का शिल्प बाजार

जी 20 शिखर सम्मेलन में देश-दुनिया के कई विषयों पर गंभीर मंथन के बीच भारत का शिल्प बाजार भी दिखाई देगा। भारत मंडपम में 8-10 सितम्बर तक शिल्प बाजार सजेगा, जहां देश के सभी राज्यों के सुप्रसिद्ध शिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी। इसमें विशेष तौर एक जिला-एक उत्पाद पर फोकस किया जाएगा। यहां सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिल्प उत्पादों के स्टॉल लगेंगे। इन स्टॉलों से सम्मेलन में आये मेहमान उत्पाद खरीद सकेंगे।

इस सबंध में आज जी20 सचिवालय के विशेष सचिव मुक्तेश परदेशी ने भारत मंडपम में लगाये जा रहे शिल्प बाजार में यह कोशिश की जा रही है कि सम्पूर्ण भारत की झलक यहां दिखाई। शिल्प बाजार में पूर्वोत्तर पर विशेष पर फोकस किया गया है। बाजार में जहां उत्तर प्रदेश की सुप्रसिद्ध चिकनकारी कपड़ों पर स्टॉल होगा वहीं महाराष्ट्र परम्परागत कोल्हापुरी चप्पल और पैंथानी साड़ी भी होगी। यहां आने वाले विदेशी मेहमानों की ओर खरीदे गये उत्पादों को खादी और जूट के बने थैलों में पैक कर दिया जाएगा।

विश्व को आध्यात्मिक राह दिखाएंगे शिव नटराज
जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए विशेष रूप से तैयार शिव नटराज अब विश्व को आध्यात्मिक राह दिखाएंगे। भारत मंडपम  परिसर में एक वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद वि की सबसे ऊंची अष्टधातु की शिव नटराज प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। नटराज की यह प्रतिमा ब्रह्मांडीय नृत्य परमाणु में भी व्याप्त सर्वव्यापी अनंत का प्रतीक होने के साथ साथ भगवान का यह स्वरूप धर्म, दशर्न, कला, शिल्प और विज्ञान का समन्वय है। 

नटराज की मूर्ति के चार हाथ हैं जिन्हें एक विशिष्ट उद्देश्य से कलात्मक रूप से बनाया गया है। आकृति के चारों ओर का मेहराब उनके ब्रमिांडीय रंगमंच का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके उठे हुए दाहिने हाथ में छोटा ड्रम सृजन का प्रतीक है, क्योंकि यह कंपन पैदा करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से इसमें कण और कंपन के सिद्धांत शामिल हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि इस छोटे से ड्रम की ध्वनि से चौदह ध्वन्यात्मक वाक्यांश निकलते थे, जिन्हें सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है।

वास्तव में, नाद (ध्वनि) और ब्रमि (अनंत ईश्वर) का दर्शन है, यानी ओम का शात अल्ट्रासाउंड, जो ब्रह्मांडीय गतिविधि के लिए संगीत है। भगवान के नृत्य को ‘नादंत नातनम‘ कहा जाता है। निचला दाहिना हाथ सुरक्षा (अभय हस्त) और कल्याण के आासन के संकेत दिखाता है। उठा हुआ बायां हाथ अग्नि को धारण करता है जो विघटन  का प्रतीक है। यह कर्म के नियमों और जन्म (पुनर्जन्म) के नियमों के हिंदू सिद्धांत से भी संबंधित है।

दूसरे शब्दों में यह जन्म और मृत्यु के चक्र को दशर्ता है। निचला बायां हाथ छाती के पार दाहिनी ओर फैला है (तकनीकी रूप से ‘कारी हस्त‘ कहा जाता है - हाथी की सूंड की तरह), उंगलियां दाहिनी ओर उठे हुए बाएँ पैर की ओर इशारा करती हैं। प्रतिमा का उठा हुआ पैर सांसारिक बंधन से मुक्त आत्माओं का अंतिम आश्रय (मोक्ष) है। दाहिना पैर एक राक्षसी बौने को कुचलता हुआ दिखाई देता है, जो अहंकार की ओर ले जाने वाली अज्ञानता के कारण उत्पन्न मानवीय भ्रष्टता का प्रतीक है। नाचते हुए भगवान के चारों ओर का मेहराब पूरी सृष्टि को इंगित करता है जो उनका रंगमंच है, जिसमें वह हर उप-परमाणु के रूप में नृत्य कर रहे हैं, जो पांच तत्वों के रूप में बड़ा होता है।
 

अमित कुमार/संजय टुटेजा
सहारा न्यूज ब्यूरो/नई दिल्ली


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