Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब सूर्य अध्ययन की तैयारी, Aditya-L1 2 सितम्बर को श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपण किया जाएगा

Last Updated 29 Aug 2023 07:26:01 AM IST

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद इसरो ने सोमवार को घोषणा की कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-एल1’ (Aditya-L1) का दो सितम्बर को पूर्वाह्न 11:50 बजे श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपण किया जाएगा।


Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब सूर्य अध्ययन की तैयारी

आदित्य-एल1 अंतरिक्षयान (Aditya-L1 spacecraft) को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थान अवलोकन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ‘लैग्रेंज बिंदु’ अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। नासा के अनुसार, इनका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है। लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है।

अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट में बताया, सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को PSLV-C57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह अंतरिक्षयान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे। इसरो के एक अधिकारी ने कहा, आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है।

बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) पेलोड के विकास के लिए अग्रणी संस्थान है, जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणो ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) पेलोड इस मिशन के लिए विकसित किया है। वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है। आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके लपटों का अवलोकन कर सकता है। कण संसूचक और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

यहां स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित उपग्रह, इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेसपोर्ट पहुंचा। इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है। इसरो ने कहा, एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित उपग्रह से सूर्य पर लगातार नजर रखने में बड़ा फायदा होगा और कोई भी ग्रह इसमें बाधा नहीं डालेगा। इसने कहा, इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। विशेष सुविधाजनक बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य का अवलोकन करेंगे और शेष तीन पेलोड द्वारा एल1 बिंदु पर कण और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन किये जाने की उम्मीद है।

भाषा
बेंगलुरू


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