कृष्ण जन्मभूमि के पास अवैध निर्माण पर फिर बुलडोजर
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) में कृष्ण जन्मभूमि (Krishna Janmabhoomi) के पास कथित अवैध निर्माण (Illegal Construction) हटाने के लिए ध्वस्तीकरण अभियान से संबंधित एक याचिका का सोमवार को निस्तारण कर दिया और याचिकाकर्ता को दीवानी अदालत के समक्ष राहत के लिए अनुरोध करने की स्वतंत्रता दी।
कृष्ण जन्मभूमि के पास अवैध निर्माण पर फिर बुलडोजर |
यह उल्लेख करते हुए कि भूमि के अधिवासी या निवासियों द्वारा दायर वाद क्षेत्राधिकार वाली दीवानी अदालत में लंबित हैं, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से राहत के लिए वहां आवेदन करने को कहा।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, ‘‘इस याचिका में जिस राहत के लिए अनुरोध किया गया है, उस पर हमारी राय में एक मुकदमे में बेहतर ढंग से विचार किया जा सकता है। चूंकि कार्यवाही लंबित है, हम इस रिट याचिका का निस्तारण करते हैं और याचिकाकर्ता को राहत के लिए उक्त अदालत के समक्ष आवेदन करने की स्वतंत्रता देते हैं।’’ पीठ ने वह यथास्थिति बढ़ाने से भी इनकार कर दिया, जिसकी व्यवस्था उसने 16 अगस्त को प्रदान की थी, जब शीर्ष अदालत ने भूमि को कथित अवैध निर्माणों से खाली कराने के लिए रेलवे द्वारा चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान को 10 दिनों के लिए रोक दिया था।
पीठ मथुरा निवासी याकूब शाह द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया कि जब दीवानी अदालत में मुकदमे लंबित हैं तो संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में क्या राहत दी जा सकती है। संविधान का अनुच्छेद 32 भारतीय नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के लिए सीधे शीर्ष अदालत का रुख करने का अधिकार देता है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अधिकारियों ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई उस दिन की, जब उत्तर प्रदेश में अदालतें बंद थीं और 100 मकान पहले ही ध्वस्त किए जा चुके थे। पीठ ने कहा, ‘आप अदालत से पूरी राहत का अनुरोध कर सकते हैं।’
पीठ ने यह भी कहा कि वह समानांतर कार्यवाही नहीं चला सकती। जब याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से यथास्थिति बढ़ाने का अनुरोध किया, तो पीठ ने कहा, ‘हमने आपको 10 दिनों का संरक्षण प्रदान किया था, आपने (दीवानी) अदालत का रुख क्यों नहीं किया?’ उसने कहा, ‘हम यथास्थिति को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं।’ शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुणदोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है और सभी ¨बदुओं को दीवानी अदालत द्वारा तय करने के लिए खुला छोड़ दिया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के निकट बने कथित अवैध निर्माण को ढहाने के रेलवे के अभियान पर दस दिन के लिए रोक लगा दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘आज से 10 दिनों की अवधि के लिए संबंधित परिसर के संबंध में यथास्थिति का आदेश दिया जाता है। मामले को एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें।’’ पच्चीस अगस्त को मामला फिर से शीर्ष अदालत के सामने सुनवाई के लिए आया, जिसने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा था, ‘‘मामले को 28 अगस्त को सूचीबद्ध करें। इस बीच याचिकाकर्ता द्वारा प्रत्युत्तर, यदि कोई हो, दाखिल किया जाए। अंतरिम आदेश का कोई और विस्तार नहीं होगा।’’ सोलह अगस्त को याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि 100 घरों पर बुलडोजर चलाया गया है। उन्होंने दलील दी थी, ‘‘70-80 घर बचे हैं। पूरी चीज निर्थक हो जाएगी। उन्होंने यह कदम उस दिन उठाया जब उत्तर प्रदेश में अदालतें बंद थीं।’’
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