ISRO ने किया बड़ा खुलासा, चंद्रमा की सतह पर तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड, वैज्ञानिक भी हैरान

Last Updated 28 Aug 2023 07:21:13 AM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया।


कम गर्मी नहीं है चांद पर, सतह पर तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड

राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा। इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं।

चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा। ग्राफिक चित्रण के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा, हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है।

यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।

इसरो ने एक बयान में कहा, इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।

वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा, जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि वहां (चंद्रमा) यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है।

इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया था।  

भाषा
बेंगलुरू


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