Arvind kejriwal ने PM Modi को ही टारगेट करने की कोशिश क्यों की?
रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई आम आदमी पार्टी की रैली सफल रही या असफल इसका मूल्यांकन होता रहेगा। केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के खिलाफ आयोजित की गई इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खूब हुंकार भरी।
![]() Arvind Kejriwal |
अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खूब वार किए। उन्होंने अपने भाषण के दौरान जिस तरीके से मोदी को टारगेट किया उससे एक बात तो तय हो गई कि अब यह लड़ाई भाजपा से ना होकर मोदी से ज्यादा होने लगी है। उन्होंने जिस तरीके से काल्पनिक राजा के तौर पर मोदी की कहानी सुनाई उस पर कई दिनों तक चर्चा होती रहेगी, लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि अरविंद केजरीवाल की इस रैली के जरिए जो संदेश दिया गया है,
उसका विपक्ष की अन्य पार्टियों पर क्या असर पड़ेगा।
रविवार को दिल्ली का रामलीला मैदान लोगों से पटा पड़ा था, दरअसल यह रैली सर्विसेस के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए एक अध्यादेश को लेकर अयोजित की गई थी। तकरीबन एक माह पहले सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद यह फाइनल हो गया था कि दिल्ली में तीन चीजों को छोड़कर बाकी सब पर अधिकार दिल्ली सरकार का होगा। उन तीन चीजों में दिल्ली की जमीन दिल्ली की पुलिस और पब्लिक ऑर्डर थे। इन तीन के अलावा सर्विसेस यानी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले और उनकी नियुक्तियों का अधिकार दिल्ली सरकार को मिल गया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले यह सब कुछ दिल्ली के उपराज्यपाल के हाथों में था।
सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने खुशियां भी मनाई थीं, लेकिन उनकी खुशियां एक सप्ताह के अंदर ही काफूर हो गईं थीं, जब भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक अध्यादेश जारी कर दिया। इस अध्यादेश के बाद एक बार पुनः व सारी शक्तियां जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार को मिली थीं, वापस उपराज्यपाल के पास आ गईं। इस अध्यादेश से बौखलाए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरे देश में घूम-घूम कर विपक्षी पार्टी के नेताओं से समर्थन मांगा था। विपक्ष के अधिकांश नेताओं ने उन्हें समर्थन देने का भरोसा भी जताया था। विपक्ष के नेताओं से मिले आश्वासनों के बाद अरविंद केजरीवाल का आत्मविश्वास और बढ़ गया था। लिहाजा उन्होंने उसी बढ़े हुए आत्मविश्वास के बल पर दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली करने की योजना बना ली थी।
रैली के एक सप्ताह पहले ही दिल्ली सरकार के तमाम मंत्री और विधायकों ने पूरे दिल्ली में घूम-घूम कर दिल्ली के लोगों से इस रैली में आने का आग्रह किया था। उन्हें निमंत्रण पत्र भी बांटा गया था। रविवार को अरविंद केजरीवाल की अपेक्षा के मुताबिक दिल्ली की जनता उस रैली में आई भी। अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश के बारे में बताया। दिल्ली की जनता को यह भी बताया कि इस अध्यादेश के जरिए केंद्र की सरकार ने दिल्ली की जनता का अपमान किया है। उन्होंने एक काल्पनिक राजा की कहानी सुनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर खूब कटाक्ष किए। उन्होंने सीधे-सीधे मोदी को टारगेट किया। कथित तौर पर मोदी का कद भाजपा से बड़ा हो गया है। यानी पार्टी से बड़े मोदी हो गए हैं, ऐसा लोगों का कहना है, इसलिए अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषणों में भाजपा का जिक्र ना करके मोदी का जिक्र करना शायद ज्यादा मुनासिब समझा।
संभवतः अरविंद केजरीवाल का भाषण उनके समर्थकों को जरूर अच्छा लगा होगा, लेकिन मोदी के लिए उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वह बड़े तीखे थे, बड़े ही कड़वा थे। उन्होंने प्रधानमंत्री को कक्षा चार पास बताया। मोदी को अहंकारी बताया। केजरीवाल ने मोदी के बारे में यह भी कहा कि उन्हें उनके ही अधिकारी बेवकूफ बनाते रहे और मोदी इसलिए बेवकूफ बनते रहे कि उन्हें कुछ समझ में नहीं आता है। अरविंद केजरीवाल के भाषण के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता चुप नहीं बैठने वाले हैं। अब उनके ऊपर भी शब्द रूपी बाणों के बौछार होंगे। अब देखना यह बड़ा दिलचस्प होगा कि भाजपा के नेताओं के संभावित तीखे बाणों का मुकाबला अरविंद केजरीवाल कैसे करते हैं।
कुल मिलाकर अब अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषणों के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि विपक्षी नेताओं की लड़ाई भाजपा से नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी से है। उन्होंने बार-बार मोदी का नाम लेकर शायद उन नेताओं को भी खुश करने की कोशिश की है, जो भारतीय जनता पार्टी के हैं, और कहीं ना कहीं अरविंद केजरीवाल का उनसे मधुर संबंध हैं। यानी इन भाषणों के जरिए अरविंद केजरीवाल ने जहां मोदी को टारगेट करने की कोशिश की है वहीं भाजपा के उन नेताओं को भी साधने की कोशिश की है जो कथित तौर पर मोदी को पसंद नहीं करते होंगे।
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