Nitish Kumar फार्मूला सफल हुआ तो केंद्र से साफ हो जाएगी भाजपा!
भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकजुटता का फार्मूला बनकर तैयार हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से कैसे निपटना है, इसकी पूरी रूपरेखा तैयार कर ली है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार |
पिछले दो दिनों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर उन्हें वह मसौदा सौंप दिया है, जिसमें उन सारी योजनाओं का जिक्र है। नीतीश की उन्ही सारी योजनाओं पर एक बार फाइनल चर्चा तब होगी जब वो सारी पार्टियां एक साथ बैठेगीं, जिन्होंने एक साथ आने का मन बना लिया है। चूँकि राहुल गांधी इस महीने के अंत तक अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं, इसलिए विपक्षी पार्टियों की बैठक संभवतः उनके आने के बाद ही हो पाएगी।
भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की बात विपक्ष की सभी पार्टियां कर रही हैं, लेकिन सबसे ज्यादा गंभीरता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिखाई है। पिछले आठ दस महीनों से सिर्फ नीतीश कुमार ही इस काम में लगे हुए हैं। नीतीश कुमार ने एक रोडमैप भी तैयार कर लिया है। हालांकि नीतीश कुमार के उस रोडमैप की जानकारी कमोबेश उन सभी पार्टी के प्रमुखों को मिल गई है जो एक साथ मिलकर आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी प्रमुख ने सार्वजानिक रूप से सहमति नहीं जताई है।
दरअसल कांग्रेस को लेकर अभी विपक्ष की बहुत सी पार्टियां दुविधा में हैं। अभी बहुत सी पार्टियां यह सोच नहीं पा रही हैं कि वो कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ें या ना लड़ें। हालांकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बम्पर जीत के बाद कंग्रेस के प्रति बहुत सी विपक्षी पार्टियों का नजरिया बदल चूका है। इस मामले में सबसे आगे हैं, वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। जब तक कांग्रेस की कर्नाटक में जीत नहीं हुई थी, तब तक ममता बनर्जी के विचार कुछ अलग थे, लेकिन वहां जीत मिलते ही उन्होंने खुद ही बयान दे दिया कि जहां कांग्रेस के प्रत्यासी मजबूत होंगे, वहां वो अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रत्यासी को खड़ा नहीं करेंगीं। दो दिन पहले तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का भी यही हाल था। लेकिन केंद्र सरकार के एक अध्यादेश के बाद उन्होंने भी सभी विपक्षी पार्टियों से साथ देने की गुजारिश कर दी है। कांग्रेस ने भी बड़े दिल का परिचय देते हुए साथ देने का अस्वासन दे दिया।
अब बात उस मसौदे की ,जिसे बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तैयार किया है। उन्होंने जो फार्मूला बनाया है, उसके मुताबिक़ पूरे देश की चार सौ सीटों को चिन्हित किया गया है। उनके मुताबिक हर सीट पर एक उम्मीदवार होगा, चाहे वो गठबंधन के किसी भी पार्टी का हो। उस उम्मीदवार का सपोर्ट उन सभी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता करेंगे, जो गठबंधन में शामिल हैं। हालांकि यह कथितं फार्मूला कागजों पर तो शायद बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन जब इसे जमीन पर उतारा जायेगा तो कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें भी आएंगीं। इस फार्मूले पर काम करने के लिए सभी पार्टियों को बड़े दिल का परिचय देने की जरुरत पड़ेगी। खैर नीतीश कुमार ने अपनी तरफ जो फार्मूला बनाया है, उस पर कांग्रेस ने सहमति व्यक्त कर दी है। सूत्रों के मुताबिक़ राहुल गाँधी और मल्लिकार्जुन खरगे को उनका फार्मूला पसंद भी आया है। सम्भवतः राहुल जब अमेरिका से लौटकर आएंगे तब इस फार्मूले को लेकर उन सभी पार्टियों की एक बार फ़ाइनल बैठक होगी।
उधर भाजपा भी विपक्ष की इस रणनीति को भलीभांति समझ रही है। भाजपा के रणनीतिकार भी विपक्ष के एक- एक कदम पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा और विपक्ष के बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात वाली बात चल रही है। विपक्ष अगर योजना बना रहा है तो भाजपा के रणनीतिकार भी हाथ पर हाथ धर के नहीं बैठे हुए हैं। भाजपा भी जरूर कुछ न कुछ ऐसी योजना बना रही होगी जिससे कि विपक्ष की योजना को फेल किया जा सके। लिहाजा अब इंतजार रहेगा राहुल गाँधी के अमेरिका से लौटकर आने का। यह तय है कि जब राहुल गाँधी अमेरिका से लौटकर आएंगे तब तक विपक्षी एकता को लेकर अन्य पार्टियां भी अपना मन बना चुकी होंगी।
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