बुलेट में थोड़ा वक्त, वंदेभारत की रफ्तार और होगी तेज : वैष्णव
अमृतकाल (amrit kaal) में रेलवे कितनी आधुनिक और यात्रियों के लिए कितनी सुविधाजनक होगी? वंदेभारत (Vande Bharat) से बुलेट ट्रेन तक का सफर तकनीकी तौर पर और आरामदायक सुविधाओं के लिहाज से किस तरह से होगा? निरंतर बदलाव और बेहतर होते रेलवे के तमाम विषयों पर पुरी-हावड़ा वंदेभारत ट्रेन )Puri-Howrah Vande Bharat Train) में यात्रा के दौरान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) से राष्ट्रीय सहारा (Rashtriya Sahara) के विशेष संवाददाता विनोद श्रीवास्तव (Vinod Srivastava) की खास बातचीत हुई। प्रस्तुत है प्रमुख अंश..
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव |
दुनिया भर में तेज रफ्तार ट्रेनों की मांग लगातार हो रही है। भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना की क्या स्थिति है और भविष्य में क्या योजना है?
दरअसल देश में बुलेट ट्रेन परियोजना अहमदाबाद से मुंबई (bullet train project ahmedabad to mumbai) प्रगति पर है। कुछ वर्ष में यह परियोजना पूरी हो जाएगी। हांलाकि रफ़्तार के मामले में वंदेभारत ट्रेन ने बुलेट ट्रेन की पहली सीढ़ी पार कर ली है। वंदेभारत ट्रेन (Vande Bharat Train) 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही है और इसका 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर ट्रायल किया जा चुका है। इसमें भारतीय रेलवे पूरी तरह सफल रही है। दुनिया में पहली बुलेट ट्रेन 160 किलोमीटर और फिर दूसरी बुलेट ट्रेन 180 किलोमीटर पर आयी थी। भविष्य में भारतीय रेलवे वंदेभारत ट्रेन को लेकर 200 किलोमीटर पर जाने वाली है।
इस रफ्तार की ट्रेनें लाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
रेल मंत्रालय लगातार मंथन कर रहा है कि इस तरह की ट्रेनें लाने के लिए कम लागत वाली तकनीक विकसित की जाएं। अगर हम 200 किलोमीटर की रफ़्तार पर जाएंगे तो हमें एलिवेटेड रेल ट्रैक (Elevated Rail Track) पर जाना होगा। इसकी मौजूदा लागत करीब 200 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर आ रही है। यदि तकनीक विकसित होने के बाद यह लागत 100 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर पर आ जाए तो बेहतर होगा। फिर सोच के अनुरूप यह ट्रेनें आ सकेंगी।
देश के सभी हिस्सों से वंदेभारत ट्रेनों को चलाने की जबरदस्त मांग है? जनता और जनप्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों से एक नहीं बल्कि कई ट्रेनें मांग रहे हैं। रेल मंत्रालय में बड़ी संख्या में आवेदन लाइन में हैं?
यह सही है, रेल मंत्रालय कि कोशिश है कि अगले महीने जून तक सभी राज्यों को वंदेभारत ट्रेनें मिल जाएं। वंदेभारत से देहरादून, गोवाहटी, गोवा और रांची को जोड़ना है। नार्थ ईस्ट में जहां रेल विद्युतीकरण नहीं है वहां वंदेभारत को लेकर देरी होगी। एक राज्य में एक नहीं बल्कि कई वंदेभारत ट्रेनें मिलेंगी।
इस तरह से बहुत सारी वंदेभारत ट्रेनों की जरूरत होगी। इसके लिए क्या किया जा रहा है?
400 वंदेभारत ट्रेनें का निर्माण किया जा रहा है। अभी आईसीएफ में वंदेभारत का उत्पादन हो रहा है। लेकिन माडर्न कोच फ़ैक्टरी रायबरेली, बीएचईएल और लातूर में भी इनका उत्पादन शुरू हो रहा है। इससे हर सप्ताह कई ट्रेन आएंगी और मांग पूरी होगी।
वंदेभारत ट्रेन का स्लीपर कोच का वर्जन कब तक आएगा?
यह कोच मार्च 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा। वंदेभारत स्लीपर कोच का डिज़ाइन क़रीब 40 प्रतिशत अलग है। इस कोच को बेहतर बनाया जाएगा ताकि यह यात्रियों के लिए आधुनिक, आरामदायक और सुविधाजनक हो।
कम दूरी के लिए वंदे मेट्रो की क्या स्थिति है? कब तक यह ट्रेन प्रोटोटाइप (train prototype) बनकर आएगी?
वंदे मेट्रो भी क़रीब-क़रीब मार्च 2024 तक बनकर तैयार होगी। चूंकि वंदे मेट्रो 100 किलोमीटर तक की इंटरसिटी के लिए है इसलिए इसकी डिज़ाइन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यात्रियों की संख्या के लिहाज़ से ट्रेन की बोगी की डिज़ाइन होगी। वंदे मेट्रो यात्रियों की कम दूरी के सफ़र के लिए मांग पूरी करेगी।
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