कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के आंदोलन के बाद घर लौटने लगे किसान, कई जगह यातायात प्रभावित

Last Updated 11 Dec 2021 10:30:54 AM IST

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के पश्चात किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले 'विजय गीत' बजाते हुए सिंघू धरना स्थल से बाहर निकल गए, लेकिन इस दौरान किसानों की भावनाएं हिलोरें मार रही थीं।


साल भर के आंदोलन के बाद घर लौटने लगे किसान

सिंघू बॉर्डर छोड़ने से पहले, कुछ किसानों ने 'हवन' किया, तो कुछ ने कीर्तन गाये, जबकि कुछ किसान 'विजय दिवस' के रूप में इस दिन को चिह्नित करने के लिए 'भांगड़ा' करते नजर आये।

उधर, पंजाब और हरियाणा में सिंघू बॉर्डर से लौटे किसानों की घर-वापसी पर मिठाइयों और फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत करने का सिलसिला शुरू हो गया है। दिल्ली-करनाल-अम्बाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही नहीं, बल्कि राजकीय राजमार्गों पर अनेक स्थानों पर किसानों के परिजन अपने गांववालों के साथ किसानों का स्वागत करते नजर आये। इस अवसर पर लड्डू-बर्फी भी बांटे जा रहे हैं।

ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के हुजूम की वजह से दिल्ली-सोनीपत-करनाल राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई। दूर-दूर तक वाहनों का काफिला नजर आ रहा है।

मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में और इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को बड़ी संख्या में यहां एकत्र हुए थे।

अब जब सिंघू बॉर्डर से किसान अपने घरों को लौटने लगे हैं तो उनकी भावनाएं उफान पर हैं और मन में खुशियां हिलोरें मार रही हैं। ये किसान पिछले एक साल साथ रहने के बाद एक-दूसरे से विदाई लेते वक्त आपस में गले मिलते और बधाई देते नजर आए।

किसानों ने सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक 'विजय मार्च' निकाला।


सिंघू बॉर्डर से रवाना होने को तैयार अम्बाला के गुरविंदर सिंह ने कहा, ‘‘यह हमलोगों के लिए भावनात्मक क्षण है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बिछोह इतना कठिन होगा, क्योंकि हमारा यहां लोगों से और इस स्थान से गहरा लगाव हो गया था। यह आंदोलन हमारे यादों में हमेशा मौजूद रहेगा।’’

यद्यपि कुछ किसान सिंघू बॉर्डर पर केएफसी के निकट पेट्रॉल पम्प पर इकट्ठा होकर कीर्तन और अरदास कर रहे थे तो कुछ टेंट को उखाड़ने और उन्हें ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर लादने में मदद कर रहे थे। उसके सौ-दो सौ मीटर की दूरी पर ही पंजाब के युवकों का एक समूह जीत की खुशी में पंजाबी गानों पर भांगड़ा नृत्य कर रहे थे।

सिंघू बॉर्डर पर पुलिस की उपस्थिति बहुत ही कम थी और जितने भी पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे, उनके चेहरे पर सुकून के भाव स्पष्ट देखे जा सकते थे। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘हम अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से कर रहे थे। प्रदर्शन के समाप्त हो जाने से निश्चित तौर पर यात्रियों और स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।’’

इस बीच वाहनों के काफिले की वजह से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात की गति धीमी हो गयी है।

सोनीपत के एक यातायात पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोनीपत-करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन धीरे-धीरे चल रहे हैं। कुछ वाहन राजमार्ग पर गलत साइड से घूस आये हैं, जिसकी वजह से भी वाहनों की आवाजाही में समस्या खड़ी हुई है। दिल्ली-रोहतक राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी कुछ स्थानों पर जाम की स्थिति बनी हुई है।

पंजाब के मोगा निवासी किसान कुलजीत सिह ओलाख ने घर लौटने को उत्सुक अपने साथी किसानों के साथ सफर शुरू करने से पहले कहा, “सिंघू बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था। इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया, क्योंकि हमने विभिन्न जातियों, पंथों और धर्मों के बावजूद काले कृषि कानूनों के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी। यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है।”

गाजीपुर सीमा पर एक किसान जीतेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटने के लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली तैयार करने में व्यस्त थे। उन्होंने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और ‘काले’ कृषि कानूनों के खिलाफ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं।

किसान 11 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।


इन कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था। हालांकि, किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लेना शामिल है।

जैसे ही केंद्र ने लंबित मांगों को स्वीकार किया, आंदोलन की अगुवाई कर रही, 40 किसान यूनियनों की छत्र संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर विरोध स्थलों से घर वापस जाएंगे।

दिल्ली की सीमाओं से जाने के बाद किसान नेता 13 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाकर दर्शन करेंगे। तो वहीं 15 दिसंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक होगी।

 

भाषा/आईएएनएस
नई दिल्ली


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