Parliament Winter Session: सांसदो के निलंबन मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

Last Updated 08 Dec 2021 12:35:42 PM IST

राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर बुधवार को उच्च सदन में एक बार फिर कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा किया।


राज्यसभा: निलंबन के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 12 सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित करने पर राज्यसभा में जारी गतिरोध दूसरे सप्ताह बुधवार को भी बना रहा जिसकी वजह से 11 बज कर करीब 25 मिनट पर बैठक 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।

बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कुछ अन्य सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं, जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि हुड्डा ने जो नोटिस दिया है वह किसानों के मुद्दों से संबंधित है और आसन ने आश्वासन दिया था कि नियमों के तहत यदि इस मुद्दे को उठाया जाएगा तो चर्चा कराई जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर पिछले सत्र में भी चर्चा नहीं हो सकी थी। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर चर्चा होनी चाहिए। सदन के बाहर इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है तो सदन में भी इस पर चर्चा होनी चाहिए।’’

इस पर सभापति ने कहा कि यदि सदन की कार्यवाही चलने दी जाती है तो इन सभी मुद्दों पर विचार किया जा सकता है।

इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस की सदस्य सुष्मिता देव ने 12 सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाया। यही मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदस्यों का निलंबन अलोकतांत्रिक तरीके से किया गया है जिसे रद्द किया जाना चाहिए।

हालांकि सभापति ने कहा कि निलंबन की कार्यवाही सदन ने की है और इसका प्रस्ताव सरकार लेकर आई थी।

इसके बाद विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया और आसन के समक्ष आ गए। कुछ सदस्यों के हाथों में तख्तियां थीं। सभापित ने सदन में तख्तियां न दिखाने और सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि शून्यकाल के तहत जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं, इसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने एनपीएफ के सदस्य के जी केन्ये को शून्यकाल के तहत अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। नगालैंड के एनपीएफ के सदस्य केन्ये ने प्रदेश में सेना की गोलीबारी में 14 लोगों के मारे जाने का मुद्दा उठाया और सरकार से सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा कानून) वापस लेने की मांग की।

हंगामे के बीच ही जनता दल यूनाईटेड के रामनाथ ठाकुर ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन का मुद्दा उठाया जबकि वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित किसानों के अन्य मुद्दे उठाते हुए इन पर विचार करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग की। तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य कनक मेदला रविंद्र कुमार ने केंद्र सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए आवंटित कोष को अन्यत्र खर्च किए जाने का मुद्दा उठाया।

भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय विद्यालयों में नामांकन के लिए सांसदों के तय कोटे को समाप्त करने की मांग उठाई।

सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार बार अनुरोध किया वह अपने स्थानों पर लौटें और शून्य काल चलने दें। लेकिन इसके बावजूद हंगामा जारी रहा। उन्होंने कहा ‘‘आसन की अवज्ञा करना अलोकतांत्रिक है। आप जो कर रहे हैं वह उचित नहीं है। पिछले दस दिन से आप सदन में कामकाज नहीं होने दे रहे हैं। इसकी (विरोध प्रदर्शन की) अनुमति नहीं है।’’

नायडू ने कहा कि गलत को सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि 12 सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने फाइलें फेंकी, दस्तावेज फाड़े, माइक तोड़े, मार्शलों पर हमला किया... मेज पर चढ़ा गया ।

उन्होंने कहा ‘‘आप कहते हैं कि यह (जो आपने किया) सही है और कार्रवाई (12 सदस्यों का निलंबन) गलत है। यह सही नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता और सदन के नेता को एक साथ बैठ कर इस मुद्दे का हल निकालने का सुझाव दिया गया है ताकि सदन में कामकाज हो सके।

सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब 25 मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सोमवार, 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जिसकी वजह से सदन में गतिरोध बना हुआ है और बैठक बार बार बाधित हुई है।

भाषा
नई दिल्ली


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