जन-धन योजना ने भारत के विकास की गति बदली: PM मोदी

Last Updated 28 Aug 2021 12:53:17 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के सात साल पूरे होने के अवसर पर शनिवार को कहा कि इस पहल ने ना सिर्फ भारत के विकास की गति को हमेशा के लिए बदल दिया है बल्कि इसने अनगिनत भारतीयों का वित्तीय समावेशन, सम्मान का जीवन और सशक्तीकरण सुनिश्चित किया है।


जन-धन योजना ने भारत के विकास की गति बदली: मोदी (file photo)

केंद्र सरकार द्वारा देश के नागरिकों तक बैंकिंग सुविधाओं की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2014 में शुरू की गई पीएमजेडीवाई ने 28 अगस्त 2021 को सात वर्ष पूरे किये हैं।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज पीएम जन-धन योजना के सात साल हो रहे हैं. एक ऐसी पहल जिसने भारत के विकास की गति को हमेशा के लिए बदल दिया। इस योजना ने वित्तीय समावेशन और सम्मान का जीवन सुनिश्चित करने के साथ ही अनगिनत भारतीयों का सशक्तीकरण सुनिश्चित किया है. जन-धन योजना ने पारदर्शिता को मजबूत करने में भी मदद की है।’’



इस अवसर पर उन्होंने इस योजना को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘उनके प्रयासों ने भारत के लोगों के जीवन को बेहतर बनाना सुनिश्चित किया है।’’

 प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले कुल 43.04 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में अब तक सरकार 146,231 करोड़ रुपये भेज चुकी है। यह पैसा सीधे लाभार्थियों तक पहुंचा है। आंकड़ों के आधार पर सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना से सीधे खाते में पैसा पहुंचने से सिस्टम में सेंधमारी पर अंकुश लगा है। लीकेज कम होने से पूरा पैसा लाभार्थियों की जेब में पहुंच रहा है। सरकारी योजनाओं में बिचौलियों की भूमिका कम हुई है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना की बात करें तो मार्च 2015 में खातों की संख्या 14.72 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 18 अगस्त 2021तक 43.04 करोड़ हो गई है। इसमें 55 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 67 प्रतिशत जन-धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में हैं। कुल 43.04 करोड़ खातों में से, 36.86 करोड़ यानी 86 प्रतिशत खाते चालू हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) की घोषणा की थी। 28 अगस्त 2015 को इस योजना की शुरूआत के बाद से अबतक इसके तहत कुल 43.04 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खातों में 146,231 करोड़ रुपये भेजे गए। खाताधारकों को 31.23 करोड़ रुपे कार्ड भी जारी हुए। 10 करोड़ किसानों के खाते में इन खातों के माध्यम से 1.05 लाख करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई।

खास बात है कि लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कोविड लॉकडाउन के दौरान महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों के खातों में कुल 30,945 करोड़ रुपये जमा किए गए लगभग 5.1 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को योजना के सात साल पूरे होने पर अपने संदेश में कहा, मैं उन सभी के अथक प्रयासों की सराहना करना चाहता हूं जिन्होंने प्रधानमंत्री जन धन योजना को सफल बनाने के लिए काम किया है। उनके प्रयासों ने सुनिश्चित किया है कि भारत के लोग जीवन की बेहतर गुणवत्ता का नेतृत्व करें।

उन्होंने आगे कहा, आज हम प्रधानमंत्री जनधन योजना के सात साल पूरे कर रहे हैं, एक ऐसी पहल, जिसने भारत के विकास पथ को हमेशा के लिए बदल दिया है। इसने अनगिनत भारतीयों के लिए वित्तीय समावेशन और गरिमापूर्ण जीवन के साथ-सा सशक्तिकरण सुनिश्चित किया है। जन-धन योजना ने और भी पारदर्शिता में मदद की है।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, प्रधानमंत्री जन धन योजना, दशकों से बुनियादी बैंकिंग सुविधाओं से वंचित करोड़ों गरीबों को बैंक खाते का अधिकार देने वाली विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशी पहल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह योजना गरीब व वंचित वर्ग को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा देने के साथ भ्रष्टाचार उन्मूलन में कारगर सिद्ध हुई है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का मानना है कि जनधन योजना से डीबीटी में पारदर्शिता आई है और इससे लीकेज खत्म हुआ है। उन्होंने कहा, सात वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन योजना की शुरूआत की थी। इस योजना ने वित्तीय समावेशन के साथ बैंक रहित लोगों को बैंकिंग और बीमा की सुविधा देकर, डीबीटी में पारदर्शिता व लीकेज को कम कर और समाज के निम्न वर्गों को सशक्त बनाकर प्रधानमंत्री जी के संकल्प को साकार किया है।

नड्डा ने कहा, प्रधानमंत्री जनधन योजना ने भारत के विकास-यात्रा में एक नए अध्याय को जोड़ा है। इस योजना के 67 प्रतिशत से अधिक खाताधारक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं व 55 प्रतिशत से अधिक खाताधारक महिलाएं हैं। कोरोना महामारी के दौरान 3 महीने के लिए 20.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 500 रुपये की वित्तीय सहायता के माध्यम से दी गई।
 

आईएएनएस/भाषा
नई दिल्ली


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