न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर मीडिया में अटकलें, खबरें बेहद दुर्भाग्यपूर्ण : प्रधान न्यायाधीश

Last Updated 18 Aug 2021 05:33:52 PM IST

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में कॉलेजियम की बैठक के बारे में मीडिया में आईं ‘‘अटकलों वाली’’ कुछ खबरों को ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘‘पवित्र’’ है तथा मीडिया को इसकी गरिमा को समझना और पहचानना चाहिए।


प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित एक रस्मी कार्यक्रम में कहा कि वह उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में मीडिया में आईं खबरों को लेकर ‘‘अत्यंत व्यथित’’ हैं और ‘‘गैरजिम्मेदाराना खबरों’’ की वजह से पहले योग्य प्रतिभाओं के आगे बढ़ने का मार्ग बाधित हो चुका है।

 न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सभी पक्ष इस संस्थान की गरिमा को बनाए रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस अवसर पर मैं मीडिया में कुछ अटकलों और खबरों पर चिंता व्यक्त करने की स्वतंत्रता लेना चाहता हूं। आप सभी जानते हैं कि हमें इस न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने की जरूरत है। यह प्रक्रिया चल रही है। बैठकें होंगी और फैसले लिए जाएंगे। न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इसके साथ एक गरिमा जुड़ी हुई है। मेरे मीडिया के मित्रों को इस प्रक्रिया की पवित्रता को समझना व पहचानना चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि एक संस्थान के तौर पर शीर्ष अदालत मीडिया की स्वतंत्रता और नागरिकों के अधिकारों का बेहद सम्मान करती है तथा प्रक्रिया के लंबित रहने के दौरान प्रस्ताव के निष्पादन से पहले ही मीडिया के एक वर्ग में, जो प्रतिबंबित हुआ, वह विपरीत असर डालने वाला है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां योग्य प्रतिभाओं के आगे बढ़ने का मार्ग ऐसी गैरजिम्मेदाराना खबरों और अटकलों के कारण बाधित हुआ। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इससे बेहद व्यथित हूं।’’

प्रधान न्यायाधीश ने ऐसे गंभीर मामलों में अटकलें नहीं लगाने और संयम बरतने में अधिकतर वरिष्ठ पत्रकारों और मीडिया घरानों द्वारा दिखाई जाने वाली ‘‘परिपक्वता और जिम्मेदारी’’ की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे पेशेवर पत्रकार और नैतिक मीडिया विशेष तौर पर उच्चतम न्यायालय और लोकतंत्र की असली ताकत हैं। आप हमारी व्यवस्था का हिस्सा हैं। मैं सभी पक्षकारों से इस संस्थान की अक्षुण्ता और गरिमा को बरकरार रखने की उम्मीद करता हूं।’’

प्रधान न्यायाधीश मीडिया में आई उन खबरों के संदर्भ में बोल रहे थे जिनमें कहा गया था कि ऐसा समझा जा रहा है कि उनकी अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए नौ नामों की सिफारिश की है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि न्यायमूर्ति सिन्हा ऐसे अवसर पर विषय से थोड़ा अलग जाने के लिए माफ करेंगे। वह मेरी व्यथा को समझेंगे।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि 17 फरवरी 2017 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए न्यायमूर्ति सिन्हा बार और पीठ में अपने सीधे एवं शानदार रुख के लिए जाने जाते हैं तथा उन्हें एक निष्पक्ष न्यायाधीश के रूप में भी याद किया जाएगा ‘‘जो कम बोलते हैं, लेकिन बहुत ही ज्ञानी हैं।’’

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति सिन्हा कई महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे हैं और उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकारों सहित विभिन्न विषयों पर खुद 114 फैसले लिखे हैं तथा इस अदालत में 13,671 मामलों का निपटरा किया है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर मैं, उनकी (न्यायमूर्ति सिन्हा) सेवानिवृत्ति से दुखी हूं।’’

इस अवसर पर न्यायमूर्ति सिन्हा ने प्रधान न्यायाधीश और अधिवक्ताओं का धन्यवाद व्यक्त किया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सिन्हा की सेवानिवृत्ति पर कहा, ‘‘कानूनी समुदाय के लिए आज का दिन बड़े दुख का दिन है।’’

उन्नीस अगस्त 1956 को जन्मे न्यायमूर्ति सिन्हा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल करने के बाद 1979 में वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।

उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में 23 साल तक प्रैक्टिस की और 11 फरवरी 2004 को वहां स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।

शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले वह छत्तीसगढ़ और राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
 

भाषा
नई दिल्ली


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