हंगामे के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी दिन भर के लिए स्थगित

Last Updated 19 Jul 2021 04:28:30 PM IST

मानसून सत्र के पहले दिन ही संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के भारी हंगामे के कारण कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।


संसद में भारी हंगामा

लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन बार-बार कार्यवाही बाधित हुई और अंतत: इसे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया, क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि और कथित जासूसी सहित विभिन्न मुद्दों पर जमकर हंगामा किया।

अंत में दिन भर के लिए स्थगित होने से पहले, सदन को कई बार स्थगित किया गया, क्योंकि विपक्ष ने सदन को सामान्य रूप से चलने देने की सभापति की अपील पर ध्यान नहीं दिया।

सभापति ने कांग्रेस के के. सी. वेणुगोपाल, राजद के मनोज झा, भाकपा के बिनॉय विश्वम और कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए। जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नए कैबिनेट मंत्रियों का परिचय देना करना शुरू किया, विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी।

लोकसभा में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला और आखिरकार इसे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और कथित फोन टैपिंग मामले सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की।

निचले सदन को सुबह 11 बजे के बाद से विपक्ष की ओर से किए गए हंगामे का सामना करना पड़ा।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सदन के कामकाज को जारी रखने के बार-बार प्रयासों के बावजूद, विपक्षी दलों के सांसद अध्यक्ष के पोडियम के पास एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।

हंगामे के बाद दो बार बैक टू बैक स्थगन के बाद, स्पीकर ने अंतत: नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा फोन टैपिंग मुद्दे पर एक विस्तृत बयान देने के बाद सदन को दिन के लिए स्थगित कर दिया।

वैष्णव ने कहा, कल रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज स्टोरी प्रकाशित की गई थी। इस स्टोरी में कई बड़े आरोप लगाए गए थे। प्रेस रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले सामने आई थी। यह संयोग नहीं हो सकता।

यह उल्लेख करते हुए कि अतीत में व्हाट्सएप पर पेगासस के उपयोग के संबंध में इसी तरह के दावे किए गए थे, उन्होंने कहा, उन रिपोटरें का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सभी दलों द्वारा उनका खंडन किया गया था। 18 जुलाई की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और अच्छी तरह से स्थापित संस्थानों को खराब करने का एक प्रयास प्रतीत होती है।




 

भाषा/वार्ता/आईएएनएस
नई दिल्ली


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