Monsoon Session 2021: विपक्ष के हंगामे के कारण संसद में नये मंत्रियों का परिचय नहीं करा पाए पीएम मोदी
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री मोदी अपनी मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय दोनों सदनों में नहीं करवा पाए और उन्होंने मंत्रियों की सूची दोनों सदनों के पटल पर रखी।
विपक्ष के हंगामे के कारण संसद में नये मंत्रियों का परिचय नहीं करा पाए |
संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के हंगामे के कारण अपने मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय नहीं करा सके और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी जारी रहने के कारण सदन की बैठक को एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न 3:30 बजे तक के लिए दोबारा स्थगित कर दिया गया।
सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर चार नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ग्रहण किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोकसभा में मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय कराने के दौरान कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों और अन्य विषयों पर हंगामा शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और महिला मंत्रियों का यहां परिचय कराया जाए। उन्होंने विपक्षी दलों के रवैये को महिला एवं दलित विरोधी ‘‘मानसिकता का परिचय’’ करार दिया।
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने जब नये मंत्रियों का सदन में परिचय देना शुरू किया, उसी दौरान दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया।
राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से शांत होने और मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की। किंतु उनकी अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ और सदन में हंगामा जारी रहा।
बिरला ने कहा, ‘‘परंपराओं को न तोड़ें। आप लंबे समय तक शासन में रहे हैं। आप परंपरा को तोड़कर सदन की गरिमा को कम नहीं करें। इस सदन की गरिमा को बनाए रखें..प्रधानमंत्री जी सदन के नेता हैं और फेरबदल के बाद मंत्रिपरिषद का परिचय करा रहे हैं। आप सदन की गरिमा को बनाए रखें।’’
लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांति से नये मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की।
विपक्ष के हंगामे पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सोच रहा था कि सदन में एक उत्साह का वातावरण होगा क्योंकि बड़ी संख्या में हमारी महिला सांसद मंत्री बनी हैं..आज खुशी का माहौल होगा कि आदिवासी साथी बड़ी संख्या में मंत्री बने हैं।’’ उन्होंने कहा कि किसान परिवार और ग्रामीण परिवेश से आने वाले, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समाज से आने वालों को बड़ी संख्या में मंत्रिपरिषद में स्थान मिला है, उनके परिचय से खुशी होनी चाहिए थी।
मोदी ने कहा, ‘‘दलित मंत्री बनें, महिला मंत्री बनें, ओबीसी मंत्री बनें, किसान परिवारों के लोग मंत्री बनें..शायद यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है इसलिए वह उनका परिचय भी नहीं होने देते।’’
प्रधानमंत्री ने उच्च सदन में प्रश्न किया, ‘‘यह कौन सी मानसिकता है कि आदिवासी के बेटे, दलित के बेटे और किसान के बेटे का गौरव करने को लोग तैयार नहीं हैं?’’
लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नये मंत्रियों का परिचय कराने के दौरान कांग्रेस सदस्यों के हंगामे को दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा दृश्य अपने 24 वर्ष के संसदीय जीवनकाल में नहीं देखा।
इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद की सबसे बड़ी शक्ति स्वस्थ परंपराएं होती हैं। संसद की ये स्वस्थ परंपराएं संविधान एवं संसद नियमों पर आधारित होती हैं और संसद की स्वस्थ परंपराओं को बनाकर रखना सत्ता पक्ष, विपक्ष सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा 24 वर्षों का संसद का अनुभव रहा है और हमेशा से देखा है कि जो भी प्रधानमंत्री होते हैं वह कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले अपने मंत्रिमंडल विस्तार की जानकारी देते हैं ।
सिंह ने कहा कि एक मंत्री हों या अनेक मंत्री हों, प्रधानमंत्री सभी का परिचय कराते हैं और पूरा सदन उनकी बात को शांतिपूर्ण तरीके से सुनता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने 24 वर्ष के संसदीय जीवन में पहली बार देखा है कि इस परंपरा को तोड़ा गया है। कांग्रेस ने आज जो किया है वह दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
राज्यसभा में हंगामे के कारण जब प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय सदन से नहीं करवा पाए और उन्होंने मंत्रियों की सूची सदन के पटल पर रखी तो सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष के इस आचरण की निंदा की।
गोयल ने कहा कि उन्होंने सदन में पहले कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा कि नये मंत्रियों का परिचय सदन से नहीं करवाया जा सका।
सदन के नेता गोयल ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री के समय से चल रही इस परंपरा में बाधा पहुंचाना बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह व्यवहार देश के लोकतंत्र को ‘‘हानि’’ पहुंचायेगा।
इस दौरान कांग्रेस सदस्यों को ‘काले कानून वापस लो’ के नारे लगाते सुना गया। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ने सदन के 40 दिवंगत पूर्व सदस्यों के निधन की जानकारी दी। उन्होंने इसके बाद प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया लेकिन विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। अध्यक्ष ने बैठक को पूर्वाह्न 11:35 बजे दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दोपहर दो बजे सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इस बीच पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदन को सूचित किया कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुरोध पर लोकसभा अध्यक्ष ने कोविड महामारी के मद्देनजर सभी मंत्रियों की ओर से आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखने की अनुमति संसदीय कार्य राज्य मंत्री को दी है।
इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखे।
पीठासीन सभापति अग्रवाल ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। लेकिन उनकी अपील का कोई असर नहीं दिखा। हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने कार्यवाही अपराह्न 3:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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