मिशन 2022 का लक्ष्य भेदने के लिए चला गया जातीय समीकरण का दांव

Last Updated 08 Jul 2021 12:18:04 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सात लोगों को इसी राज्य से मंत्री बनाया गया है। इस विस्तार में न सिर्फ जातीय व क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ नए चेहरों को उभारने का प्रयास किया गया है।


सांकेतिक फोटो

इस विस्तार के जरिए भाजपा मिशन 2022 के लक्ष्य को आसानी से भेद सके, इसलिए जातीय समीकरण का दांव चला गया है। इसके अलावा पिछड़ो और दलितों पर खास फोकस किया गया है।

मोदी सरकार-2 के पहले मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के साथ ही चर्चा शुरू हो गई थी कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश को खास तवज्जो दी जा सकती है। उसी पर अमल करते हुए पार्टी आगे बढ़ती देखी गयी है। मोदी के मंत्रिमंडल में अब तक यूपी से खुद मोदी सहित पिछड़े वर्ग के चार, दो ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक सिख, एक पारसी शामिल थे। सात नए मंत्रियों को शामिल करने के बाद राज्य के 15 मंत्रियों में सात पिछड़े, दो ब्राह्मण, दो ठाकुर, एक सिख, एक पारसी और अनुसूचित जाति के दो चेहरे हो गए हैं।

राजनीतिक पंडितों की माने तो भाजपा ने 2014 से ही गैर यादव पिछड़ा और गैर जाटव दलित पर फोकस करना शुरू कर दिया था। इसी आधार पर उसने 2014, 2017, 2019 के चुनाव में यूपी में विजय पायी थी। इसी फॉरमूले को लेकर पार्टी फिर एक बार आगे बढ़ रही है। इसकी झलक भी केन्द्रीय मंत्रि मंडल विस्तार में नजर आयी है। भाजपा ने दलितों में जाटव के बाद सबसे अधिक जनसंख्या वाली पासी बिरादरी से कौशल किशोर पर दांव खेला तो कोरी समाज से भानुप्रताप वर्मा को मंत्री पद देकर खांचे में फिट किया है।

पिछड़ा कुर्मी बिरादारी से अनुप्रिया और पंकज चौधरी को मोदी टीम में शामिल किया गया है। अनुप्रिया और पंकज का पूर्वाचल में ठीक-ठाक प्रभाव बताया जाता है। इसी तरह अजय मिश्र टेनी को भी विस्तार में जगह दी गई है। मोदी मंत्रिमंडल में प्रदेश से दो ब्राह्मण चेहरे हो गए हैं। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों प्रदेश के ब्राह्मणों में भाजपा को लेकर नाराजगी की खबरों को देखते हुए हाईकमान ने यह फैसला किया है।

राजनीतिक जानकार प्रसून पांडेय कहते हैं कि यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने है। यहां के चुनाव में जातीय समीकरण का अच्छा खासा महत्व है। इसी को ध्यान में रखते हुए विस्तार किया गया है। यूपी में गैर यादव और दलितों में गैर जाटव पर भाजपा का खास ध्यान है। क्योंकि इसी की बदौलत इनकी पार्टी सत्ता में आयी है। भाजपा इस वोट बैंक को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती है। पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में यूपी से 15 मंत्री सबसे अधिक आबादी वाले राज्य का दबदबा अब नजर आया है। इस बात की अहिमयत भाजपा के रणनीतिकारों को अच्छे से पता है। इसकी कारण यह सियासी दांव चला गया है।
 

आईएएनएस
लखनऊ


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment