Modi Govt 2.0: क्या है मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि और नाकामी, जानें सर्वे के नतीजे
देश जहां कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से गुजर रहा है, अधिकांश भारतीयों को लगता है कि इस घातक बीमारी से निपटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली 2.0 सरकार की सबसे बड़ी विफलता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) |
एबीपी-सी वोटर मोदी 2.0 रिपोर्ट कार्ड के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, 41 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि मोदी सरकार कोरोनावायरस संकट को प्रभावी रूप से संभालने में विफल रही। इसके अलावा सर्वे में शामिल 23.7 प्रतिशत लोगों ने कृषक समुदाय के असंतोष और गुस्से को प्रबंधित करने में सरकार की विफलता की ओर इशारा किया।
कुल 8.8 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीसीए) के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा मोदी 2.0 की सबसे बड़ी विफलता है।
हालांकि 8.9 प्रतिशत लोगों का मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी विफलता है। सर्वे में पता चला कि मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी पर 18 प्रतिशत लोगों ने अन्य राय दी।
इस महीने 23 मई से 27 मई के दौरान देश के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 12,070 लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के 44.2 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोविड-19 संकट से निपटना मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 39.8 प्रतिशत लोगों का यही मानना है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की रणनीति के सबसे मुखर आलोचकों में से एक रहे हैं। उन्होंने देश में कोविड से हुई इतनी मौतों के लिए सीधे तौर पर केंद्र और प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है।
हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर सरकार अपनी वैक्सीन रणनीति को सही करने में विफल रहती है, तो भारत कई कोविड लहरों की चपेट में आ जाएगा। यहां तक कि
हालांकि एबीपी-सी वोटर मोदी 2.0 रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, मोदी की कांग्रेस नेता की ओर से आलोचना लोगों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रही है, क्योंकि ज्यादातर लोगों को लगता है कि अगर राहुल गांधी को मौका दिया जाता, तो राहुल गांधी ने कोविड संकट को बेहतर तरीके से नहीं संभाला होता।
एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, 22 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अगर राहुल गांधी वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौरान प्रधानमंत्री होते, तो वे स्थिति को बेहतर तरीके से संभालते।
शहरी इलाकों में 20.1 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कांग्रेस नेता अगर देश के प्रधानमंत्री होते तो कोरोना संकट से बेहतर तरीके से निपटते, जबकि ग्रामीण इलाकों में 22.8 प्रतिशत लोग यही राय रखते हैं।
वहीं, 63.1 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस संकट से बेहतरीन तरीके से निपट रहे हैं, जिसे करने में राहुल गांधी नाकाम रहे होते।
शहरी क्षेत्रों में 65.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि मोदी ने कोरोना संकट को सर्वोत्तम तरीके से संभाला है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 61.9 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। कुल 14.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे इस पहलू पर कुछ नहीं कह सकते।
सर्वेक्षण से यह स्पष्ट है कि महामारी के बीच राहुल गांधी की प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना ने उन्हें न तो प्रधानमंत्री पद के लिए एक लोकप्रिय उम्मीदवार बनाया है, न ही वह लोगों को यह समझा सके कि वह प्रधानमंत्री होते तो स्थिति से अधिक प्रभावी तरीके से निपट सकते थे।
एबीपी-सी वोटर मोदी 2.0 रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करने का फैसला सही लिया है। एबीपी-सी वोटर सर्वे में पाया गया कि 53.3 फीसदी लोगों का मानना है कि मोदी सरकार ने सीएए को लागू करने का सही फैसला लिया है, जबकि 21.8 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं, यह गलत फैसला था, जबकि लगभग 24.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सीएए को लागू करने के मोदी सरकार के फैसले के बारे में कुछ नहीं कहा।
सर्वे में पाया गया कि मोदी सरकार के इस फैसले को ग्रामीण इलाकों के बजाय शहरी इलाकों में ज्यादा समर्थन मिला है। सर्वेक्षण से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में लगभग 64.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सीएए को लागू करने के निर्णय का समर्थन किया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 48.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने एक ही विचार रखा।
शहरी क्षेत्रों में 19.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने नागरिकता कानून में किए गए नए संशोधनों का समर्थन नहीं किया, जबकि देश के ग्रामीण हिस्सों में 22.7 प्रतिशत ने नए संशोधनों का विरोध किया।
शहरी क्षेत्रों में लगभग 15.5 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 29 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने साल 2014 से पहले भारत में पड़ोसी देशों से आने वाले उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता कानून में संशोधन के समर्थन या विरोध में नहीं रहे।
यह सर्वे 23 मई से 27 मई के बीच देशभर में 12,070 लोगों पर किया गया था।
साल 2019 में संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद देश ने सीएए के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध होते देखा था।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। एबीपी-सी वोटर मोदी 2.0 रिपोर्ट कार्ड के आंकड़ों में यह बात सामने आई है। एबीपी-सी वोटर सर्वेक्षण के अनुसार, 47.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जबकि 23.7 प्रतिशत का मानना है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे बड़ी उपलब्धि है।
543 लोकसभा सीटों पर किए गए सर्वे में 1.39 लाख लोगों से बातचीत की गई। यह सर्वे एक जनवरी से 28 मई 2021 के बीच किया गया है।
सर्वे में पाया गया है कि लोग लॉकडाउन पर सरकार का समर्थन कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर 68.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन लागू करना एक सही निर्णय था।
इसी तरह, 53.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस साल देशव्यापी लॉकडाउन नहीं करना मोदी सरकार का सही फैसला है।
वहीं 41.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए अपना समर्थन दिखाया है। लोगों ने कोरोना काल में परियोजना को शुरू करने और जारी रखने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया है।
इसके अलावा टीकाकरण कार्यक्रम के संचालन पर लोगों की राय विभाजित है। 44.9 प्रतिशत ने कहा कि सरकार ने देश में वैक्सीन प्रबंधन को उचित रूप से संभाला है, जबकि 43.9 प्रतिशत लोग ऐसा महसूस नहीं कर रहे हैं।
टीकों के निर्यात के निर्णय को भी व्यापक समर्थन मिला है, क्योंकि 47.9 प्रतिशत ने कोविड के टीकों के निर्यात के सरकार के निर्णय का समर्थन किया है।
इसके अलावा 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने से जम्मू-कश्मीर में जटिल मुद्दों का स्थायी समाधान हो गया है। इसी तरह 59.3 प्रतिशत का कहना है कि पिछले दो साल में कश्मीर की स्थिति में सुधार हुआ है।
सरकार की विदेश नीति को भी बड़े पैमाने पर समर्थन मिला है। देश के 62.3 प्रतिशत लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान दुनिया भर के विभिन्न देशों के साथ भारत के संबंधों में सुधार हुआ है।
हालांकि 41.9 प्रतिशत लोगों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र को तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग को स्वीकार करना चाहिए।
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