प.बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिये न्यायालय में याचिका दायर
उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को एक याचिका दायर की गई जिसमें पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद ‘‘व्यापक हिंसा’’ का आरोप लगाया गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने, केंद्रीय बलों की तैनाती और लक्षित हिंसा की जांच शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने का अनुरोध किया गया है।
उच्चतम न्यायालय |
इससे पहले, दिन में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर की थी जिसमें चुनाव प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद राज्य में हिंसक घटनाओं की सीबीआई जांच का अनुरोध किया गया है।
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी इस ने पश्चिम बंगाल की सत्ता में वापसी की है।
यह नई याचिका पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में व्यापक हिंसा और कानून-व्यवस्था को बाधित करने के मद्देनजर तमिलनाडु के ‘इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट’ ने वकील सुविदत्त एम एस के माध्यम से दायर की है।
इस बीच, पुलिस ने कहा कि चुनाव बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसा में कम से कम छह लोग मारे गए। पुलिस के अनुसार इनमें से एक व्यक्ति कोलकाता में मारा गया।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि टीएमसी समर्थित गुंडों ने उसके कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है, उसकी महिला सदस्यों पर हमला किया है, घरों में तोड़फोड़ की है, पार्टी सदस्यों की दुकानें लूटी हैं और पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ की है।
टीएमसी ने इन आरोपों से इनकार किया है।
याचिकाकर्ता-ट्रस्ट ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की बहाली के लिए शीर्ष अदालत से केंद्र को सशस्त्र बलों सहित केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘न्यायालय यह घोषणा करे संविधान के अनुच्छेद 356 के दायरे में पश्चिम बंगाल की संवैधानिक मशीनरी चरमरा गई है और इसलिए महामहिम राष्ट्रपति इस अनुच्छेद के तहत उचित कार्रवाई करें।’’
संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असफल रहती है, तो केंद्र राज्य मशीनरी को सीधे अपने नियंत्रण ले सकता है।
याचिका में अनुरोध किया गया है कि पश्चिम बंगाल में कथित लक्षित हिंसा में राजनेताओं की भागीदारी पर गौर करने, यदि ऐसा है तो, के लिए शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया जाए।
इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट ने विधानसभा चुनाव के बाद जघन्य अपराधों लिप्त सभी व्यक्तियों की तत्काल गिरफ्तारी और अभियोजन का अनुरोध किया गया है।
इसमें राजनीतिक उपद्रवियों, या जघन्य अपराधों में शामिल किसी भी व्यक्ति के अभियोजन से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए एक विशेष अदालत की स्थापना के लिए दिशा-निर्देश का भी अनुरोध किया गया है।
सत्तारूढ दल टीएमसी के चुनाव जीतने के एक दिन बाद भाजपा ने आरोप लगाया कि उसके चार कार्यकर्ताओं को टीएमसी कार्यकर्ताओं ने मार डाला।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विपक्षी दलों के सदस्यों और समर्थकों की निर्मम हत्या की गई है, उनके घरों और निजी संपत्ति को नष्ट किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि इलाकों में बमबारी करने, हत्याएं, महिलाओं का शील भंग करने, दंगे-फसाद, लूटपाट, अपहरण, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने सहित कई जघन्य अपराध हुए हैं।
याचिका में राज्य में विरोधी दलों का समर्थन करने वाली महिलाओं के खिलाफ सामूहिक बलात्कार और शारीरिक हमले की घटनाओं की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘..बदमाशों ने राज्य को एक पूरी तरह से कानूनविहीन क्षेत्र में बदल दिया है।’’
इसमें कहा गया है कि हिंसा एक लक्षित समूह के लोगों के खिलाफ एक संगठित और पूर्वनियोजित अपराध था, जिन्होंने सत्ताधारी दल के खिलाफ अपनी राजनीतिक पसंद का इस्तेमाल किया।
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