ग्रीन कॉरिडोर बनाकर चलाई जा रही हैं ऑक्सीजन एक्सप्रेस
मालगाड़ियों को दोगुने रफ्तार से चलाने के साथ-साथ तरल आक्सीजन टैंकर को जल्दी पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर चलाया जा रहा है।
तरल आक्सीजन टैंकर |
देशभर में चौतफरा कोरोना की मार के दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला बरकरार रखने के लिए मुश्किल चुनौती बनी हुई है। आवश्यक वस्तुओं में खाद्यान, दवाएं, ऑक्सीजन आदि की ढुलाई अति महत्वपूर्ण है लिहाजा रेलवे यात्री ट्रेनों को मांग के अनुरूप चलाए जाने के साथ-साथ मालगाड़ियों को भी पूरी क्षमता और रफ्तार से चलाने में जुटा हुआ है।
गौरतलब है कि रेलवे ने बीते वर्ष लॉकडाउन के दौरान भी आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई और आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में बड़ी संख्या में पार्सल एक्सप्रेस और मालगाड़ियां चलाई थीं।
इस बार फिर कोरोना की दूसरी लहर में कई राज्यों में लॉकडाउन और रात्रि कर्फ्यू चल रहा है। इस दौरान भी कहीं भी आवश्यक वस्तुओं आदि की ढुलाई बाधित नहीं हो इसके लिए रेलवे सभी राज्यों में मांग के अनुसार मालगाड़ियों को चलाने को तैयार है। जहां भी जिस तरह से माल ढुलाई के लिए मांग आ रही है वहां पर मांग के अनुसार मालगाड़ियों का संचालित किया जा रहा है।
मालगाड़ियों को औसत से दोगुने रफ्तार से चलाया जा रहा है ताकि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नियत समय पर गतंव्य तक हो सके। करीब एक सप्ताह पहले रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं सीईओ सुनीत शर्मा ने बताया था कि 15 अप्रैल तक माल ढुलाई में बीते वित्तीय वर्ष तुलना में 77 प्रतिशत अधिक लोडिंग की गईहै। बीते वित्तीय वर्ष में 15 अप्रैल तक 30.8 मिलियन टन रेलवे ने लोडिंग की थी लेकिन इस अवधि में इस वर्ष 54.4 मिलियन की लोडिंग हुई है। इससे रेलवे को बीते वर्ष 2861.7 करोड़ रुपए की जगह 5429.3 करोड़ रुपए राजस्व मिले हैं। रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोनल रेलवे महाप्रबंधकों को यात्री ट्रेनों के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए मांग के अनुरूप मालगाड़ियों को संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
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