DCGI ने रूस की कोरोना वैक्सीन 'Sputnik V' को भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए दी मंजूरी
कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत को तीसरी वैक्सीन मिल गई है। कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के बाद अब डीसीजीआई (DCGI) ने अब रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग को भी मंजूरी दे दी है।
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कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के बाद अब भारत ने मंगलवार को आपातकालीन स्थितियों में स्पुतनिक-वी नामक तीसरी कोरोना वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल इंडिया (डीसीजीआई) ने विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिशों के आधार पर वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, एसईसी ने विभिन्न नियामक प्रावधानों के अधीन आपातकालीन स्थितियों में स्पुतनिक-वी के सीमित उपयोग के लिए अनुमति देने की सिफारिश की है।"
मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन को 21 दिनों के अंतराल पर 0.5 मिली की दो खुराक के साथ इंट्रामस्क्युलर रूप से दिया जाना चाहिए।
इस समय देश में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड के इस्तेमाल को मंजूरी मिली हुई थी। भारत के औषधि नियामक ने अब रूस के कोविड-19 रोधी टीके स्पुतनिक वी के सीमित आपात इस्तेमाल को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि वैक्सीन को -18 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जाना है।
मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि एसईसी की सिफारिशों को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद स्वीकार किया है और कहा है कि डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड (डीआरएल) देश में उपयोग के लिए वैक्सीन का आयात करेगा।
बता दें कि डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने सितंबर 2020 में स्पुतनिक वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों का संचालन करने और भारत में वैक्सीन वितरित करने के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के साथ भागीदारी में अहम भूमिका निभाई थी। आरडीआईएफ द्वारा रूस में किए गए परीक्षणों के अलावा, डॉ. रेड्डीज ने भारत में वैक्सीन के चरण दो और तीन के नैदानिक परीक्षण में भी अपनी भूमिका निभाई थी।
भारत में देशव्यापी टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से शुरू हो चुका है। अब तीसरी वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण अभियान में आने वाले दिनों में तेजी आने की संभावना को भी बल मिला है।
यही नहीं अन्य कई वैक्सीन भी देश के अंदर नैदानिक विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
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