DRDO ने विकसित की मिसाइल रोधी प्रौद्योगिकी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बताया कि उसने शत्रुओं के मिसाइल हमले से नौसैन्य पोतों की सुरक्षा के लिए एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी ‘‘एडवांस्ड चॉफ टेक्नालॉजी’’ विकसित की है।
|
डीआरडीओ ने सोमवार को एक बयान में बताया कि डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीजेएल) ने भारतीय नौसेना की गुणवत्ता संबंधी अनिवार्यता को पूरा करते हुए इस इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रारूपों- कम दूरी के चॉफ रॉकेट (एसआरसीआर), मध्यम दूरी के चॉफ रॉकेट (एमआरसीआर) और लंबी दूरी के चॉफ रॉकेट (एलआरसीआर) को स्वदेश में विकसित किया है।
बयान में कहा गया है कि भारतीय नौसेना ने अरब सागर में भारतीय नौसेना पोत पर सभी तीन प्रारूपों के परीक्षण किए थे और उनका प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया।
चॉफ एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी है, जिसका शत्रुओं की रडार से नौसेना के पोत की रक्षा करने के लिए विभर में इस्तेमाल किया जाता है।
डीआरडीओ ने कहा, ‘‘इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने की महत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि हवा में बहुत कम मात्रा में तैनात चॉफ सामग्री हमारे पोतों की रक्षा के लिए शत्रु मिसाइलों को भ्रमित करने का काम करती है।’’
उसने कहा कि उसने भविष्य में शत्रुओं के खतरों से निपटने के लिए विशेषज्ञता भी हासिल कर ली है, जो कि एक अनूठी प्रौद्योगिकी है और यह बाहर से उपलब्ध नहीं हो सकती। डीआरडीओ ने कहा कि बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए यह प्रौद्योगिकी उद्योगों को दी जा रही है।
बयान में बताया गया है कि नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ एडमिरल जी अशोक कुमार ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी को इतने कम समय में देश में विकसित करने के लिए डीआरडीओ के प्रयासों की प्रशंसा की।
डीआरडीओ ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योग को बधाई दी। उसने बताया कि डीआरडीओ अध्यक्ष एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. सतीश रेड्डी ने भी भारतीय नौसेना के पोतों की रक्षा के लिए इस अहम प्रौद्योगिकी को देश में विकसित करने में शामिल दलों के प्रयासों की प्रशंसा की।
डीआरडीओ ने कहा, ‘‘डीएल जोधपुर द्वारा एडवान्स्ड चॉफ टेक्नोलॉजी सफलतापूर्वक विकसित किया जाना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम है।’’
| Tweet |