जबरन धर्मांतरण, जादू-टोना रोकने के लिए निर्देश को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल
उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर केंद्र और राज्यों को जादू-टोना, अंधविश्वास और प्रलोभन तथा वित्तीय लाभ के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
उच्चतम न्यायालय |
वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका में ‘‘धर्म का दुरुपयोग’’ रोकने के लिए एक कमेटी नियुक्त कर धर्म परिवर्तन कानून बनाने की संभावना का पता लगाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है, ‘‘प्रलोभन और जोर-जबरदस्ती से धर्मांतरण किया जाना ना केवल अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन है बल्कि यह संविधान के मूल ढांचे के अभिन्न अंग धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के भी खिलाफ है।’’
याचिका में कहा गया कि अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केंद्र और राज्य जादू-टोना, अंधविास और छल से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने में नाकाम रहे हैं, जबकि अनुच्छेद 51 ए के तहत इस पर रोक लगाना उनका दायित्व है।
समाज की कुरीतियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई कर पाने में नाकामी का आरोप लगाते हुए याचिका में कहा गया है कि केंद्र एक कानून बना सकता है, जिसमें तीन साल की न्यूनतम कैद की सजा हो, जिसे 10 साल की सजा तक बढाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को धार्मिक समूहों के मामलों से निपटने और उनके बीच धार्मिक भेदभाव का गहराई से अध्ययन कराने के लिए अधिकार दे सकता है।
याचिका में विधि आयोग को जादू-टोना, अंधविास और धर्मांतरण पर तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट और छल तथा प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण कराना एक राष्ट्रीय समस्या है इसलिए केंद्र को एक कड़ा और प्रभावी जनसंख्या नियंतण्रकानून और धर्मांतरण रोधी कानून बनाना चाहिए।
याचिका में कहा गया, ‘‘जनसख्ंया विस्फोट और छल से धर्मांतरण के कारण नौ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं तथा दिनों-दिन स्थिति और खराब होती जा रही है।’’
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