बीमा विधेयक को लेकर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही चार बार स्थगित
कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने बीमा कंपनियों में विदेशी पूंजी की सीमा बढ़ाने वाले बीमा (संशोधन) विधेयक 2021 को विचार विमर्श के लिए स्थायी समिति में भेजे जाने की मांग को लेकर आज राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी।
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भोजनावकाश के बाद उप सभापति हरिवंश ने गुरूवार को सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विधेयक चर्चा के लिए पेश करने के लिए कहा तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि इस विधेयक में बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है जो देश के लोगों के लिए बहुत खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में अनेक कमियां हैं जिन्हें दूर करने के लिए इसे स्थायी समिति में भेजा जाना चाहिए।
इससे पहले कांग्रेस के सदस्य शक्ति सिंह गोविल ने भी एक पत्र लिखकर विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी।
उप सभापति ने कहा कि उन्होंने खडगे की बात को भी सुना है और गोविल का पत्र भी पढा है लेकिन सदस्यों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि यह विधेयक 15 मार्च को ही सदन में पेश किया गया था और इसलिए सदस्यों को इस बारे में अपना नोटिस समय रहते देना चाहिए था लेकिन अब मौका निकल गया है और अब सदन में बहस के बाद मतदान के जरिये ही फैसला हो सकता है क्योंकि यह विधेयक पहले ही पेश हो चुका है।
इससे पहले श्रीमती सीतारमण ने विधेयक को चर्चा के लिए पेश कर दिया।
इसके बाद कांग्रेस , समाजवादी पार्टी, आप, राजद , शिवसेना और वामदलों के सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे जिसे देखते हुए उप सभापति ने दो बजकर 32 मिनट पर सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि बीमा विधेयक को जांच के लिए स्थायी समिति में पहले भी भेजा गया था और अन्य कई स्तर पर भी इसके बारे में विस्तार से विचार विमर्श किया गया है।
दस मिनट बाद पीठासीन उपसभापति सस्मित पात्रा ने सदन की कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित कर दी।
तीन बजे भी कार्यवाही शुरू होने पर सदन में अव्यवस्था की स्थिति देखते हुए सदन की कार्यवाही सवा तीन बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
इसके बाद उपसभापित हरिवंश ने एक बार फिर सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलाने के लिए विपक्षी सदस्यों से सहयोग करने की अपील की लेकिन सदस्यों के शांत नहीं होने पर उन्होंने हंगामे के बीच ही चर्चा शुरू करा दी।
बाद में सदन में हंगामे को देखते हुए उन्होंने साढे तीन बजे कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
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