केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को भ्रष्टाचार और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के आरोप में कैडबरी इंडिया लिमिटेड पर मामला दर्ज कर उसके 10 परिसरों में तलाशी ली।
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बता दें कि अब कैडबरी इंडिया लिमिटेड को मोंडेलेज फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। कंपनी पर आरोप है कि उसने हिमाचल प्रदेश के बद्दी क्षेत्र में टैक्स के फायदे लेने के लिए गड़बड़ियां की हैं। जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया, "सीबीआई की कई टीमों ने सोलन, बद्दी, मोहाली, पिंजौर और मुंबई में 10 स्थानों पर तलाशी ली है। सीबीआई ने कंपनी के खिलाफ की गई प्राथमिक जांच में गड़बड़ियां पाए जाने के बाद कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच में पता चला कि कंपनी ने बद्दी में कथित रूप से क्षेत्र-आधारित टैक्स छूट (केंद्रीय उत्पाद शुल्क और आयकर) का लाभ लेने के लिए रिश्वत दी, तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया। जबकि कंपनी अच्छी तरह से जानती है कि वह हिमाचल प्रदेश के बद्दी में यह क्षेत्र-आधारित टैक्स छूट में लाभ पाने की हकदार नहीं थी।"
एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि ये लाभ लेने के लिए कंपनी के कार्यकारी बोर्ड के कुछ सदस्यों ने प्रमुख प्रबंधकों के साथ मिलकर रिकॉर्ड में हेरफेर की, मध्यस्थों को रिश्वत दी और सभी सबूतों को छिपाने का काम किया। इस मामले में एजेंसी ने कुल 12 लोगों पर मामला दर्ज किया है। इसमें 2 तत्कालीन केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारी, कैडबरी इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के वित्त के तत्कालीन उपाध्यक्ष विक्रम अरोड़ा और इसके निदेशक राजेश गर्ग और जेलबॉय फिलिप्स शामिल हैं।
कैडबरी इंडिया लिमिटेड ने सैंडहोली गांव में बोर्नवीटा बनाने के लिए मैन्यूफेक्च रिंग यूनिट स्थापित की थी। सीबीआई ने एफआईआर में कहा है कि इस यूनिट में 19 मई 2005 से उत्पादन शुरू हुआ। 2 साल बाद सीआईएल ने 5 स्टार और जेम्स बनाने के लिए दूसरी यूनिट बनाने का प्रस्ताव रखा और 2007 में बद्दी में जमीन अधिग्रहीत की। इसके जरिए उसने उत्पाद शुल्क और इनकम टैक्स में 10 साल की अतिरिक्त छूट ली। इसके बाद कंपनी ने पहले की ही यूनिट में दूसरी यूनिट जोड़ने का निर्णय लेने की बात कहते हुए आवेदन दिया।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया कि 15 महीने बाद कंपनी ने कहा कि उसकी दूसरी इकाई ने उत्पादन शुरू कर दिया है, जिसके लिए उसे टैक्स छूट का लाभ दिया जाना चाहिए, जो कि संभव नहीं था क्योंकि कंपनी ने पहले ही कहा था कि वह पहले से मौजूद यूनिट में दूसरी यूनिट जोड़ने जा रहा है और पहली यूनिट को 2005 से टैक्स छूट का लाभ मिल रहा था।
हालांकि कंपनी ने छूट प्राप्त करने की आखिरी तारीख से 2 दिन पहले 29 मार्च 2010 को एक अलग कंपनी कैडबरी इंडिया लिमिटेड यूनिट 2 के नाम पर दूसरी यूनिट लगाने की मांग की। इसके लिए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई लोगों के साथ मिलकर साजिश रची और टैक्स छूट में लाभ लेने के लिए एक अलग कंपनी के रूप में दूसरी यूनिट स्थापित करने के लिए जरूरी अप्रूवल लिए, जबकि वह यह लाभ पाने के योग्य नहीं थी।
एजेंसी ने यह भी कहा है कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय (डीजीसीईआई) ने भी इस मामले की जांच की है और कंपनी पर 241 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
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