बॉर्डर पर किसानों की संख्या कम होते देख टिकैत ने कहा, 'लोग आते जाते रहेंगे'
कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बीते 80 दिनों से अधिक समय से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
राकेश टिकैत(फाइल फोटो) |
गाजीपुर बॉर्डर पर पहले के मुकाबले भीड़ हल्की हो गई है, हालांकि मंच से राकेश टिकैत पहले ही किसानों को कह चुके हैं कि एक नजर बॉर्डर पर और एक नजर खेत पर बनाए रखें। बॉर्डर पर जहां गाड़ियां खड़ी रहती थी वहां आज सन्नटा पसरा हुआ है, जिन टेंट में किसान सोते नजर आते थे, अब यह तस्वीर भी पलटती हुई नजर आ रही है। बॉर्डर पर चल रहे लंगरों पर जहां पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां अब इक्का दुक्का लोग ही खाना खाते हुए नजर आ रहे हैं।
हालांकि बॉर्डर पर शनिवार और रविवार को किसानों की संख्या बढ़ जाती है। कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो सुबह अपने गांव से आते हैं और शाम को फिर से वापस चले जाते हैं।
दरअसल गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद भी कुछ इसी तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि गाजीपुर बॉर्डर से किसानों का जाना शुरू हो चुका है, हालांकि 27 जनवरी को तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा था कि लोग बॉर्डर से अपने अपने गंतव्य स्थान की ओर रवाना हो रहे हैं।
27 और 28 जनवरी की रात टिकैत की एक भावुक अपील के बाद किसानों का फिर से बॉर्डर पर जमावड़ा लगा, किसान ट्रैक्टर के अलावा 2 पहिया और 4 पहिया वाहनों से भी आ रहे थे।
टिकैत बॉर्डर पर किसानों को फिर से इकट्ठा कर हर किसी को शक्ति प्रदर्शन दिखा चुके थे, लेकिन आंदोलन को लम्बा जारी रखने के लिए नई रणनीति बनाई गई, जिसके तहत किसानों को मंच से साफ कहा कि एक नजर खेत पर रखो और एक बॉर्डर पर, जिसके बाद किसान गांव भी जाने लगे और कुछ दिन बाद फिर से आने लगे।
फिलहाल मौजूदा स्थिति की बात करें तो बॉर्डर पर किसानों की संख्या कम है, हालांकि ये कहना मुश्किल होगा कि लोग आंदोलन छोड़ कर घर जा रहे हैं या खेती करने के लिए जा रहे हैं।
बॉर्डर पर बैठे अन्य किसानों ने अनुसार, "जो किसान ट्रैक्टर लेकर गांव जा रहे हैं वह फिर आएंगे। खेत का काम होने के कारण वो लगातार यहां नहीं रुक सकते।"
बॉर्डर पर भीड़ कम होने पर राकेश टिकैत से जब पूछा गया तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि, "ऐसा नहीं है कि भीड़ कम हो रही है, किसान आते जाते रहेंगे, उनको अपना खेत भी संभालना है और आंदोलन भी।"
"जब तक कृषि कानून वापसी नहीं होंगे तब तक घर वापसी नहीं होगी। किसान सड़कों पर नहीं हैं, लेकिन अपने अपने टेंट में बैठे हुए हैं। हमने सभी किसानों को स्टैंड बाई पर रहने के लिए कहा है, जब जरूरत पड़ेगी हम फिर उन्हें यहां बुला लेंगे।"
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