भारत-चीन संबंध ट्रैक पर लाने के लिए 8 सिद्धांत

Last Updated 29 Jan 2021 02:03:55 AM IST

एस जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए बृहस्पतिवार को आठ सिद्धांत रेखांकित किए जिनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन, आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा एशिया की उभरती शक्तियों के रूप में एक-दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है।


विदेशमंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है।

विदेशमंत्री ने कहा, सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविकता नहीं है। उन्होंने कहा, भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों पर बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा। पूर्वी लद्दाख गतिरोध के संबंध में जयशंकर ने कहा, वर्ष 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढा दिया है। पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख में हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

विदेशमंत्री ने कहा, लद्दाख की घटनाओं ने न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी प्रदर्शित की। हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है। द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आठ सूत्रीय सिद्धांत का उल्लेख करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंतण्ररेखा के प्रबंधन पर पहले हुए समझौतों का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए। वास्तविक नियंतण्ररेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए। यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास पूर्णतया अस्वीकार्य है।

जयशंकर ने कहा, दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व को लेकर प्रतिबद्ध हैं और इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए कि बहु ध्रुवीय एशिया इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम है। स्वाभाविक तौर पर हर देश के अपने अपने हित, चिंताएं एवं प्राथमिकताएं होंगी लेकिन संवेदनाएं एकतरफा नहीं हो सकतीं।

अंतत: बड़े देशों के बीच संबंध की प्रकृति पारस्परिक होती है। विदेश मंत्री ने कहा, सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापना चीन के साथ संबंधों के संपूर्ण विकास का आधार है और अगर इसमें कोई व्यवधान आयेगा तो नि:संदेह बाकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा। चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा, संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों। उन्होंने कहा, हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, यह कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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