श्रीनगर में फ्लाइट रद्द होने की समस्या से मिलेगी निजात!
पर्यटक जल्द ही बर्फबारी के हसीन दौर में भी कश्मीर की वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे। फिलहाल इस मौसम में हवाई सफर से यहां आने वाले सैलानियों को भी मुश्किलों से रुबरु होना पड़ता है, क्योंकि यहां विमानों के परिचालन के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
श्रीनगर में फ्लाइट रद्द होने की समस्या से मिलेगी निजात! |
अभी यहां सवा किलोमीटर की दृश्यता में ही फ्लाईटों का परिचालन संभव है। लिहाजा, बर्फबारी के खुशनुमा दौर में यहां फ्लाईटें अक्सर रद्द हो जाती हैं। केंद्र इस परेशानी से निजात दिलाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जल्द ही श्रीनगर एयर पोर्ट पर ‘सिम्पल अप्रोच लाईट सिस्टम’ तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इसके तहत महज 50 मीटर की दृश्यता में भी विमानों का परिचालन संभव है।
गौरतलब है कि कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के बाद केंद्र ने वहां की जनता को मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद तेज कर दी है। इसके लिए बीते दिनों केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर का स्टडी टूर किया। इसमें कश्मीर घाटी तक परिवहन, पर्यटन और संस्कृति के विकास को लेकर बैठक हुई। दल में शामिल सांसद मनोज तिवारी के अनुसार फिलहाल श्रीनगर रेल परिवहन से वंचित है और सड़क का सफर करीब ग्यारह घंटे लम्बा है। वह भी बर्फबारी के दौरान बंद हो जाता है। ऐसे में पर्यटन का बेहतरीन समय होने के बावजूद कश्मीरियों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता।
इसका एक कारण श्रीनगर एयरपोर्ट पर विमानों के परिचालन के लिए प्रयोग हो रही तकनीक भी एक कारण है। यहां विमानों का परिचालन तभी संभव है, जब दृश्यता करीब सवा किलोमीटर तक हो। यही वजह है कि यहां दिसंबर और जनवरी में ही करीब 150 फ्लाईट रद्द हो जाती हैं। इसके लिए ‘मॉडर्नाइजेशन ऑफ एयरपोर्ट फैसेलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर’ प्रोग्राम के तहत ‘इंस्ट्रूमेंशन लैंडिंग सिस्टम’ को अपग्रेड करने की जरूरत है। बकौल तिवारी अभी तक यहां लैंडिंग और टेकऑफ के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल पर ही पूरी निर्भरता है। एटीसी अभी कैट-वन तकनीक का प्रयोग कर रहा है। इसे अपग्रेड कर कैट थ्री बी सिस्टम अपनाने की जरूरत है। तब 50 से 200 मीटर की दृश्यता में भी विमानों का परिचालन संभव हो सकेगा।
दल में शामिल राजमुंदरी से सांसद भारत राम मार्गानी कहते हैं कि आज जब देश में अन्य एयरपोर्ट आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो कश्मीर को मुख्यधारा में लाने के लिए जरूरी है कि यहां सड़क मार्ग और एयरपोर्ट के विकास के लिए आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। उनका कहना है कि वह इस मामले में सिविल एविएशन कमेटी में भी चर्चा करेंगे, क्योंकि इन क्षेत्रों में तेजी से काम करने पर ही पर्यटन व्यवसाय में तेजी संभव है।
बहरहाल, तकनीकी अपग्रेडेशन के बाद यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि श्रीनगर एयरपोर्ट पर विमानों का परिचालन देर तक हो सकेगा। फिलहाल यहां सुबह 7.55 पर पहली और शाम 4.40 बजे अंतिम फ्लाईट उतरती है, जबकि सुबह 8.30 पर पहली और शाम 5.15 पर अंतिम फ्लाईट उड़ान भरती है। एयरपोर्ट का परिचालन सीमित अवधि तक होने और कड़े सुरक्षा इंतजामों के कारण वापस आने वाले सैलानियों का पूरा दिन लौटने की जद्दोजहद में ही बीत जाता है।
| Tweet |