मशहूर कैंसर विशेषज्ञ डॉ. वी शांता का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक
जानी मानी कैंसर विशेषज्ञ व यहां स्थित कैंसर संस्थान की अध्यक्ष डॉ. वी शांता का मंगलवार तड़के निधन हो गया। वह 93 वर्ष की थीं।
डॉ. शांता का निधन, मोदी ने जताया शोक (फाइल फोटो) |
डॉ. वी शांता को कैंसर के मरीजों के उपचार में अतुलनीय योगदान देने के लिए जाना जाता है।
कैंसर संस्थान के सूत्रों ने बताया कि डॉ. शांता को सोमवार रात करीब नौ बजे सीने में दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। संस्थान में एक वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ ने बताया कि उनका तड़के तीन बजकर 55 मिनट पर निधन हो गया।
डॉ शांता की पार्थिव देह को कैंसर संस्थान के पुराने परिसर ले जाया गया। इस परिसर के निर्माण में उन्होंने मदद की थी। डॉ. शांता को कैंसर के उपचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए मैगसायसाय पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
संस्थान ने कहा कि डॉ शांता अस्पताल में भर्ती होने तक सक्रिय थी। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पैदा हुई नई चुनौतियों को लेकर उन्होंने चिंता जताई थी।
संस्थान के डॉ. आनंद राजा ने डॉ. शांता के कार्य की सराहना करते हुए कहा, ‘‘वह भले ही हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनका काम हमारे बीच सदैव रहेगा।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. शांता के निधन पर शोक जताया और कहा कि उन्हें कैंसर के मरीजों को उच्च कोटि का इलाज सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए याद किया जाएगा।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘डॉक्टर वी. शांता को कैंसर का उच्च कोटि का इलाज सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए याद किया जाएगा। चेन्नई स्थित अडयार कैंसर संस्थान गरीबों और वंचितों की सेवा करने में सबसे आगे है। वर्ष 2018 में यहां का दौरा मुझे याद आ गया। डॉक्टर शांता के निधन से दुखी हूं।’’
Dr. V Shanta will be remembered for her outstanding efforts to ensure top quality cancer care. The Cancer Institute at Adyar, Chennai is at the forefront of serving the poor and downtrodden. I recall my visit to the Institute in 2018. Saddened by Dr. V Shanta’s demise. Om Shanti. pic.twitter.com/lnZKTc5o3d
— Narendra Modi (@narendramodi) January 19, 2021
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सर सीवी रमन और सुब्रrाण्यन चंद्रशेखर के परिवार से संबंध रखने वाली डॉ. शांता ने 1949 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने 1952 में डीजीओ और 1955 में प्रसूति और स्त्री रोग के क्षेत्र में एम.डी. की डिग्री प्राप्त की।
वह अप्रैल 1955 में कैंसर संस्थान से जुड़ीं। उन्होंने कैंसर संस्थान को 12 बिस्तर वाले एक छोटे से अस्पताल से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े कैंसर केंद्र में बदलने में डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चिकित्सा एवं बाल कैंसर विशेषज्ञ डॉ वेंकटरमन राधाकृष्णन ने कहा कि कैंसर की दवाओं में कर संबंधी छूट और ट्रेनों एवं बसों में कैंसर के मरीजों के लिए नि:शुल्क यात्रा का प्रावधान उनकी कई उपलब्धियों में शामिल हैं।
डॉ. शांता को कैंसर के उपचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए मैगसायसाय पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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