मोदी का भाषण सुनने आए किसानों पर भांजी लाठियां
अटल जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुनने के लिए पंजाब में एकत्र किसानों पर लाठियां बरसाने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने आक्रोश व्यक्त किया है।
मोदी का भाषण सुनने आए किसानों पर भांजी लाठियां (प्रतिकात्मक चित्र) |
भाजपा ने कहा है कि जब 25 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन मनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुनने के लिए कार्यकर्ता और किसान जुटे थे, उसी वक्त पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पुलिस से किसानों पर लोहे की राड और डंडों से आक्रमण करवा दिया।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम ने शनिवार को कहा, पंजाब की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में पुलिस ने प्रधानमंत्री का संबोधन सुनने के लिए बैठे किसानों और कार्यकर्ताओं पर लोहे की रॉड और डंडों से आक्रमण कराया। जिससे हमारे कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं। कई जगहों पर किसानों के साथ इसी निर्दयता से आक्रमण किया गया।
गौतम ने कहा, पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह व्यवहार किया और किसानों पर हुए हमले को रोकने की कोई कोशिश नहीं की, उलटे शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हुए किसानों से ही पीछे के रास्ते से निकलने और जगह छोड़ने को कहा। हर तरह से पंजाब पुलिस ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से किसानों को दूर रखने की कोशिश की और किसानों को हतोत्साहित किया। किसानों द्वारा लगाए टेंट को भी उखाड़ दिया गया और किसानों को उन जगहों से हटा दिया गया। भाजपा महासचिव ने पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के सवाल पर कहा, बॉर्डर जाम कर बैठे लोग बार बार हम पर आरोप लगाते हैं कि हम अडानी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि 2014 से पहले अडानी और अंबानी क्या भीख मांगते थे? अडानी और अंबानी की फोटो तो इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे कई कांग्रेसी नेताओं और शरद पवार के साथ भी मिलेंगी।
कांग्रेस के एक सांसद का भी बयान मीडिया में आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एक जनवरी 2020 के बाद देखिएगा कि किस तरह खून-खराबा होगा, कत्लेआम होगा और लाशें बिछेंगी। कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों के परिप्रेक्ष्य में मैं इस स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आने वाले समय में किसी भी तरह का खून-खराबा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी केवल और केवल कांग्रेस की होगी, क्योंकि कांग्रेस को खून खराबा करके शासन चलाने की आदत पड़ गई है। गौतम ने आरोप लगाया कि किसान आंदोलन में बैठे वामपंथी सुलह नहीं होने दे रहे हैं। जबकि मोदी सरकार ने लगातार पांच से छह बैठकें करके किसानों की हर बात को ध्यान से सुना है।
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