किसान सशर्त वार्ता को तैयार, सरकार की चिट्ठी के जवाब में किसानों ने 29 दिसम्बर को 11 बजे का समय किया निर्धारित

Last Updated 27 Dec 2020 01:12:06 AM IST

प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार को वार्ता की तारीख और समय ( 29 दिसम्बर, पूर्वान्ह 11 बजे) तो बता दिया है लेकिन कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी कानून की अपनी मांग नहीं छोड़ी है।


शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन करते किसानों का हुजूम।

ऐसे में वार्ता से कोई हल निकलेगा, अभी कहना मुश्किल है। सरकार को वार्ता में इसलिए भी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि किसान कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी कानून बनाए जाने की प्रक्रिया बताए जाने के बाद ही बात करेंगे। इस पर भी गौर करना होगा कि वार्ता के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव को जो पत्र लिखा है, उसकी भाषा तल्ख है।

किसानों ने कहा है कि सरकार उनके खिलाफ गलतबयानी और दुष्प्रचार बंद करे और उसने (सरकार) अब तक पिछली वार्ता के तथ्य छिपाकर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है। सरकार ने अभी तक किसानों के वार्ता के लिए तैयार होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि कृषि मंत्री इस विषय में सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से परामर्श कर रहे हैं। अभी यह कहना मुश्किल है कि क्या किसानों ने वार्ता के लिए विषयों का जो क्रम बताया है, सरकार उस पर तैयार होगी।

कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो शायद नहीं, क्योंकि सरकार का अभी तक यही दृढ़ मत है कि वह किसानों की सभी शंकाओं को संशोधनों के जरिए दूर करेगी। एमएसपी को लेकर भी सरकार की यही मुश्किल है कि वह सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने को व्यावहारिक नहीं मानती। जहां तक पराली अध्यादेश और विद्युत विधेयक के मसौदे की बात है, उसे सरकार किसानों के हित में करने के लिए तैयार है।

किसानों की शर्तें
-    सरकार कृषि कानून रद्द करने की प्रक्रिया बताए
-    एमएसपी का कानून बनाने की प्रक्रिया भी बतानी होगी
-    पराली अध्यादेश में लगाए गए दंड से किसानों को बाहर रखना
-    विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में किसानों का हित सुरक्षित करना

आगामी कार्यक्रम
-    सिंघु बार्डर से ट्रैक्टर मार्च
-    कारपोरेट के उत्पादों का बहिष्कार तेज करेंगे

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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