किसान आंदोलन: सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों को भेजा लिखित प्रस्ताव
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज यानी बुधवार को 14वां दिन है। सरकार ने आज सिंघु बॉर्डर पर उनके संगठनों के एक प्रतिनिधि समूह को प्रस्ताव भेजा है।
किसान संगठनों को सरकार ने भेजा लिखित प्रस्ताव |
राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर बिंदुओं पर नये कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर हजारों किसानों के विरोध के बीच उनके संगठनों के एक प्रतिनिधि समूह को सरकार की ओर से बुधवार को एक मसौदा प्रस्ताव मिला जो प्रदर्शनकारियों की कुछ मुख्य चिंताओं से जुड़ा हुआ है।
कृषि मंत्रालय की ओर से 13 किसान संगठनों को किसानों की आपत्तियों पर संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया है जिसका अध्ययन किया जा रहा है। सरकार ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि किसान संगठनों को कृषि सुधार के जिन प्रावधानों पर आपत्ति है उस पर वह खुले मन से विचार करने को तैयार है।
Farmer leaders at Singhu Border receive a draft proposal from the Government of India#FarmLaws pic.twitter.com/zBQuOjY3F3
— ANI (@ANI) December 9, 2020
इन किसान संगठनों के नेताओं ने कल रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और अपनी मांगों को लेकर चिचार विमर्श किया था। इन किसान संगठनों में भारतीय किसान यूनियन उग्राहा, क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब और किसान संघर्ष समिति पंजाब आदि शामिल हैं। यह संगठन करीब 40 आंदोलनकारी संगठनों में से सबसे बड़े संगठनों में शामिल है।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘किसान संगठनों को सरकार से मसौदा प्रस्ताव मिला है।’’ वह उन कई किसान नेताओं में शामिल हैं जो सरकार के साथ जारी वार्ता में शामिल हैं।
All three farm laws should be repealed. This is our demand.
— ANI (@ANI) December 9, 2020
If the proposal talks of only amendments then we will reject it: Kanwalpreet Singh Pannu, Kisan Sangharsh Committee, Punjab at Singhu border pic.twitter.com/3cSEDTfElK
सरकार ने कहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की वर्तमान व्यवस्था जारी रखने पर लिखित आश्वासन देगी। किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों के कब्जा हो जाने की आशंका के बारे में कहा गया है कि किसानों की जमीन पर बनायी जाने वाली संरचना पर फसल खरीददार किसी प्रकार का ऋण नहीं ले सकता और न ही संरचना को बंधक रखा जा सकेगा।
फसलों की खरीद पर विवाद होने पहले एसडीएम कोर्ट जाने का प्रावधान था लेकिन अब सरकार ने विवाद के मामले को सिविल अदालत में ले जाने का भी प्रस्ताव किया है। व्यापारियों के केवल पैन कार्ड के आधार पर व्यापार करने की व्यवस्था के अलावा उन्हें राज्यों में पंजीयन कराने का भी प्रस्ताव किया गया है।
राज्य सरकारों के निजी मंडियों के पंजीयन करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके साथ ही एपीएमसी और निजी मंडियों के शुल्क के समान रखने का भी प्रस्ताव किया गया है।
केन्द्र सरकार ने किसान संगठनों से आन्दोलन समाप्त करने का अनुरोध किया है और कहा है कि किसानों की आर्थिक प्रगति के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। किसान संगठनों ने कहा है कि सरकार के प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है। कुल 40 किसान संगठनों के नेता सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता कर चुके हैं लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है।
किसान संगठनों ने पिछले 14 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर कब्जे जमा रखें है और वे कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
मसौदा प्रस्ताव कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने भेजा है।
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