कोरोना से उबरे 30 फीसद लोगों में नहीं मिली कोई एंटीबॉडी‚ सीरो सर्वे में खुलासा

Last Updated 16 Sep 2020 10:03:35 AM IST

दिल्ली में अगस्त के प्रथम सप्ताह में किए गए सीरो सर्वे में कोविड–19 से उबरे 257 लोगों में से 79 के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ कोई एंटीबॉडी नहीं पाई गई। यह वे लोग थे जो कोरोना से पीड़ित रह चुके हैं। इससे उन लोगों को सावधान रहना चाहिए जो कोरोना से उबर चुके हैं।




दिल्ली के 11 जिलों में एक अगस्त से सात अगस्त के बीच लगभग 15 हजार प्रतिरूपात्मक नमूने लिए गए और वायरस के खिलाफ इनमें एंटीबॉडी की मौजूदगी की जांच की गई। इसमें 257 ऐसे लोगों के रक्त के नमूने भी लिए गए जिन्हें कोविड–19 की बीमारी हुई थी और जो बाद में ठीक हो गए। ‘अगस्त की सीरोलॉजिकल सर्वे' की रिपोर्ट में में पता चला कि इन लोगों में से 79 के शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी नहीं थी।

यह कवायद दिल्ली में कोरोना की स्थिति के समग्र आकलन और इसके आधार पर रणनीति बनाने के उद्देश्य से की गई। इस कवायद में विभिन्न क्षेत्रों‚ आयु समूह‚ लिंग और विभिन्न आर्थिक श्रेणियों के लोगों के नमूने लिए गए। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले महीने के अंत में इसके परिणामों की घोषणा करते हुए कहा था कि अगस्त में हुए सीरो सर्वे में राष्ट्रीय राजधानी में 29.1 फीसद लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई। पुरुषों में इसका फीसद 28.3 और महिलाओं में इसका फीसद 32.2 रहा।

ठीक हुए लोगों में कई माह पहले हुआ होगा संक्रमण

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड–19 से उबरे जिन लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं मिली‚ हो सकता है कि वे कई महीने पहले कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती चरण में इस महामारी की जद में आए हों।

उन्होंने कहा कि लेकिन अधिकतर मामलों में स्मृति कोशिकाएं वायरस को याद रखेंगी और यदि कोविड–19 से उबरे किसी व्यक्ति पर वायरस फिर से हमला करता है तो ये रोग प्रतिरोध के रूप में जवाब देंगी। एंटीबॉडी के जीवनकाल के बारे में जैन ने 20 अगस्त को कहा था कि विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबॉडी का जीवन चक्र पांच से आठ महीने तक का होता है‚ लेकिन शरीर संक्रमण के जवाब में ‘टी कोशिकाएं' भी उत्पन्न करता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि इन ‘टी कोशिकाओं' को स्मृति कोशिकाएं भी कहा जाता है और यह अत्यंत दुर्लभ है कि एक बार कोविड–19 की जद में आ चुका व्यक्ति फिर से इसकी जद में आएगा। अगस्त में हुए सर्वे का काम मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने किया था। इसमें दिल्ली के उत्तर–पूर्वी जिले में सीरो उपलब्धता 29.6 फीसद‚ दक्षिणी जिले में 27.2‚ दक्षिण–पूर्वी जिले में 33.2 और नई दिल्ली में 24.6 फीसद थी।

भाषा/एसएनबी
नयी दिल्ली


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