अमेरिका : आक्रामक व मुखर ट्रंप सरकार
ऐतिहासिक राजनीतिक वापसी के बाद आत्मविश्वास से भरे डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फस्र्ट योजना को साकार करने को संकल्पित हैं। ट्रंप ने जिन सहयोगियों को अपनी कैबिनेट का हिस्सा बनाया है, उससे भविष्य के अमेरिका की बदली हुई और नई छवि उभर कर आने के संकेत मिल रहे हैं।
अमेरिका : आक्रामक व मुखर ट्रंप सरकार |
हालांकि आशाओं और आकांक्षाओं से भरपूर ट्रंप की कैबिनेट को लेकर आशंकाएं भी कम नहीं हैं। ट्रंप आर्थिक सहयोग पर आधारित रणनीतिक भागीदारियों को अमेरिकन जनता के पैसों का दुरुपयोग समझते हैं, और इन्हें गैर-जरूरी बताते हैं। ट्रंप ने नाटो में अमेरिकी भागीदारी पर पुनर्विचार करने और कुछ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को कम करने का सुझाव दिया है।
ट्रंप ने मार्को रूबियो को विदेश मंत्री बनाया है। रूबियो ने अमेरिका फस्र्ट दृष्टिकोण के साथ ही वैश्विक मंच पर अमेरिका का सम्मान पुन: हासिल करने का वादा किया है। वे चीन, ईरान और क्यूबा सहित अमेरिकी भू-राजनीतिक दुश्मनों के संबंध में सशक्त विदेश नीति की वकालत करते हैं। भारत के लिए उनके विचार बेहद सकारात्मक हैं, जो अमेरिकी विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए भारत को जापान, इस्रइल, दक्षिण कोरिया और नाटो के समकक्ष रखने की बात कहते हैं। रूबियो पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश के चलते उसे दी जाने वाली सुरक्षा सहायता रोकने के हिमायती हैं। रूबियो इस्रइल को मदद बढ़ा कर ईरान को सबक सिखाने के हिमायती हैं। इसका असर मध्यपूर्व में देखने को मिल सकता है।
ट्रंप ने अरकंसास के पूर्व गवर्नर माइक हकबी को इस्रइल में अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित किया है। हकाबी इस्रइल के कट्टर समर्थक हैं, और कब्जे वाले पश्चिमी तट पर इस्रइली बस्तियों के रक्षक हैं, जिन्हें अधिकांशत: अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अवैध माना जाता है। इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन के सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और बेहरीन जैसे अमेरिका के रणनीतिक सहयोगी ईरान पर इस्रइल के हमलों की आलोचना कर चुके हैं। यूएई ने इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन के सम्मेलन में कहा था कि ट्रंप प्रशासन के साथ एक व्यापक दृष्टिकोण रखने की जरूरत है, प्रतिक्रियावादी और टुकड़े-टुकड़े वाली नीति से काम नहीं चलेगा। इन स्थितियों में नये विदेश मंत्री और अमेरिकी राजदूत माइक हकबी के सामने मध्यपूर्व में अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए संतुलन बनाने की बड़ी चुनौती होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद के लिए ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज पर भरोसा जताया है। वाल्ट्ज ने नेशनल गार्ड में कर्नल के रूप में भी काम किया है, उन्होंने एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीनी गतिविधियों की आलोचना की है, और इस क्षेत्र में संभावित संघर्ष के लिए अमेरिका को तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर दिया है। अमेरिका की वैदेशिक नीति के प्रतिनिधित्व में चीन का विरोध दिखाई पड़ रहा है। मतलब साफ है चीन और अमेरिका के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी तो दोनों देशों के बीच तनाव भी बढ़ेगा। चीन हांगकांग पर प्रतिक्रिया को लेकर रूबियो से पहले ही चिढ़ा हुआ है, और उन पर कई प्रतिबंध लगा चुका है।
ट्रंप ने लाखों अप्रवासियों को लक्षित करते हुए अब तक का सबसे व्यापक निर्वासन प्रयास शुरू करने की कसम खाई है। अप्रवासन को रोकने के लिए वे किसी भी हद तक जाने की बात कह चूके हैं। लिहाजा, उन्होंने यह जिम्मा क्रिस्टी नोएम को सौंपा है। ट्रंप ने नोएम को अगले गृह सुरक्षा सचिव के रूप में चुना है, वे होमलैंड सुरक्षा विभाग, सीमा सुरक्षा और आव्रजन से लेकर आपदा प्रतिक्रिया और अमेरिकी सीक्रेट सर्विस तक हर चीज के लिए जिम्मेदार हैं। होमन देश की सीमाओं के भी प्रभारी होंगे। होमन अवैध आप्रवासियों को वापस भेजने को लेकर दृढ़ हैं। अप्रवासन को लेकर अमेरिका की कड़ी नीतियों से उसके संबंध लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया और भारत से खराब हो सकते हैं। इसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रणनीतिक भागीदारियों पर भी पड़ सकता है। सीआईए प्रमुख के रूप में पूर्व अमेरिकी जासूस जॉन रैटिक्लफ ट्रंप की पसंद हैं। वे ट्रंप के वफादार समर्थक रहे हैं, और उन्हें खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके काम के लिए जाना जाता है। रैटिक्लफ ने खुफिया मामलों पर ट्रंप के शीर्ष सलाहकार के रूप में काम किया ह,ै और ट्रंप के एजेंडे को बढ़ाने में भूमिका निभाई है। रैटिक्लफ ने अमेरिकी चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के प्रयासों को उजागर किया है तथा वे ईरान, चीन और रूस के मुखर आलोचक माने जाते हैं। अमेरिका और यूरोप के बीच बढ़तीं दूरियां, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्यपूर्व में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमलों की आशंकाओं के बीच रैटिक्लफ अमेरिकी खुफिया परिदृश्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
ट्रंप ने सांसद तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर नामित किया है। यह विभाग अमेरिका में सारी ख़्ाुफिया एजेंसियों का काम देखता है। तुलसी पाकिस्तान की आलोचक रही हैं। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों की आलोचना की थी, ऐसे में तुलसी बांग्लादेश को लेकर सख्त हो सकती हैं, और इसका फायदा निर्वासित शेख हसीना को मिल सकता है।
ट्रंप ने अमेरिका की प्रशासनिक व्यवस्था पर शिंकजा कसने की जिम्मेदारी एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को सौंपी है। रामास्वामी एफबीआई की आलोचना करते रहे हैं। अमेरिका में संघीय एजेंसियों को बदलने की कोशिशें कांग्रेस में व्यापक आलोचना का कारण बन सकती हैं, और यह सीआईए के लिए भी स्वीकार्य नहीं होगा। ट्रंप की नीतियों और मंशा पर वहां की खुफिया एजेंसियां पहले ही सवाल उठा चुकी हैं। इससे देश में अभूतपूर्व टकराव बढ़ सकता है।
अमेरिका में कैबिनेट की स्थिति दुनिया की अन्य शासन व्यवस्थाओं से बहुत अलग और खास है। दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली देश में कैबिनेट के सदस्य संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं होते और न ही सदन के प्रति उनका कोई उत्तरदायित्व होता है। वे मात्र राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं। जाहिर है, ट्रंप की कैबिनेट उनके लिए तो मुफीद है लेकिन आक्रामकता से भरपूर राजनीतिक समूह के चलते अमेरिका का भविष्य सवालों में घिर गया है।
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)
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