माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता
प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। क्षमा ऐसा जादुई शब्द है, जिससे बहुत से घाव भरे जा सकते हैं।
माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता |
यदि आप माफी मांगते हैं तो आप भी महात्मा गांधी की श्रेणी में आ जाएंगे। महात्मा गांधी भी ऐसा ही करते थे।
जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने वकील प्रशांत भूषण को सजा सुनाए जाने पर उनके वकील डा. राजीव धवन और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को सुना और फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस अरुण मिश्रा दो सितम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसलिए दो सितम्बर से पहले ही निर्णय आ सकता है।
सुनवाई के दौरान बेंच ने भूषण के वकील राजीव धवन से सवाल किया कि वह बताएं कि माफी शब्द का उपयोग करने में क्या गलत है। क्या माफी मांगने से दोष साबित हो जाता है। माफी एक जादुई शब्द है, जो घावों को भर देता है। यदि आप माफी मांगते हैं तो आप महात्मा गांधी की श्रेणी में आ जाएंगे। अगर आपने किसी को चोट पहुंचाई है तो आपको मरहम लगाना चाहिए। गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार करने के अपने वक्तव्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उद्धृत किया था। समझा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उसी संदर्भ में गांधी का हवाला दिया है।
प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि अदालत को मुजरिम के योगदान को देखना होगा। अटार्नी जनरल ने भी प्रशांत भूषण की जनहित याचिकाओं के जरिए किए गए योगदान की सराहना की है। धवन ने जस्टिस अरुण मिश्रा को याद दिलाया कि जब वह खुद कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे, तब उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की थी जबकि ममता बनर्जी ने जजों को भ्रष्ट कहा था। आपने मुख्यमंत्री के ओहदे का ख्याल रखा था। धवन ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट गंभीर और कटु आलोचना को बर्दाश्त नहीं करेगा तो ध्वस्त हो जाएगा। प्रशांत भूषण को दोषी करार दिए जाने के 14 अगस्त के फैसले पर राजीव धवन ने कहा कि यह निर्णय अर्धसत्य और विरोधाभास से परिपूर्ण है।
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