चीन की बड़ी साजिश, पाक को दे रहा जैविक युद्ध की तकनीक

Last Updated 28 Jul 2020 06:17:08 AM IST

ड्रैगन और पाकिस्तान की भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। चीन पाकिस्तान को जैविक हथियार के बारे में बड़ी मदद करने जा रहा है।


चीन की बड़ी साजिश, पाक को दे रहा जैविक युद्ध की तकनीक

दोनों ने जैविक युद्ध की क्षमताएं हासिल करने के लिये तीन साल की सीक्रेट डील की है  इस बायो वॉरफेयर में कई एंथ्रेक्स समेत कई घातक रिसर्च प्रोजेक्ट्स हैं। यह दावा इंटेलिजेंस सूत्रों के हवाले से कलेक्सन की खुफिया रिपोर्ट में किया गया है।
भारत की कूटनीति से चीन और पाकिस्तान के विश्व में अलग-थलग पड़ जाने से चीन और पाकिस्तान बौखला गए हैं।  इतना ही नहीं भारतीय सेना की ताकत से दोनों देश घबराए हुए हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार चीन समझ गया है कि छद्म युद्ध से भी भारत को तबाह नहीं किया जा सकता। लिहाजा चीन अब एक तरफ लद्दाख में सैन्य युद्ध की तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ भारत के खिलाफ रसायनिक व जैविक हथियार का इस्तेमाल कर हमला करना चाहता है। विश्व में करोना की तरह चीन की फिर किरकिरी न हो इसलिए चीन ने पाकिस्तान को टूल बनाया है।

चीन  के वुहान इंस्टीटूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तान के डिफेंस साइंस ऑफ टेक्नोलॉजी एंड आर्गेनाईजेशन (डेस्टो) के बीच इस बारे में एक करार हुआ है। खुफिया जानकारी के अनुसार इस करार के मुताबिक चीन घातक बायोलॉजिकल एजेंट की क्षमता का परीक्षण अपनी सीमा से बाहर करेगा ताकि उस पर शक न जाए। खुफिया सूत्रों ने बताया कि ड्रैगन की मदद से पाकिस्तान डेस्टो अपने जैविक हथियार कार्यक्रम के तहत एंथ्रेक्स पर कई सीक्रेट प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है और खतरनाक माइक्रो ऑर्गनिस्म्स के इस्तेमाल की क्षमता हासिल कर रहा है। पाकिस्तान का डेस्टो बेसिलस एंथ्रैसिस को हैंडल करने में काफी ज्ञान हासिल कर चुका है जो भविष्य में उसको बायो वारफेयर में योगदान दे सकता है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन का वुहान इंस्टीटूट एक वायरस डेटाबेस के विकास में भी न सिर्फ पाकिस्तान के डेस्टो की मदद कर रहा है बल्कि आर्थिक मदद भी कर रहा है। पाकिस्तान ने इस सीक्रेट प्रोजेक्ट को असैनिक विविद्यालयों और आम सरकारी स्वास्थ्य विभागों की पहुंच से दूर रखा है ताकि इस बात की भनक किसी को ना लगे।  खुफिया अधिकारियों के मुताबिक चीन ने इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान को इसलिए साथ लिया है ताकि पाकिस्तान का इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के खिलाफ किया जा सके साथ ही घातक बायोकेमिकल रिसर्च और परीक्षण चीन की सीमा से बाहर रखे जाएं। ताकि चीन अपने आपको बेदाग बता सके।
चीन और पाकिस्तान पहले ही कीमियो कांगो हेमोरेजिक फीवर वायरस पर काफी काम कर चुके हैं, इस वायरस से 25 प्रतिशत संक्रमितों की जान चली जाती है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान बायो वारफेयर क्षमता हासिल करने के लिये इस वायरस का परीक्षण कर रहा है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ऐसी डीएनए रिसर्च में भी लगा हुआ है जिसके आधार पर बायोलॉजिकल हथियार इस्तेमाल करने पर किसी खास प्रजाति के लोगों को निशाना बना सकें, जबकि अन्य प्रजातियों पर निष्प्रभावी रहें। चीन ने ऐसे अनुसंधानों के लिये यूनान प्रान्त के कुनिमंग में इंस्टीटूट ऑफ मेडिकल बायोलॉजी भी बनाया है।

सहारा न्यूज ब्यूरो/कुणाल


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