नेतृत्व क्षमता से ताकतवर वैश्विक नेता के रूप में उभरे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल बेहद चुनौती भरा रहा।
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विदेश नीति के मोर्चे पर पूरे साल कई चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया।
कोरोना काल से पहले जहां प्रधानमंत्री ने दुनिया की दो बड़ी ताकत अमेरिका और रूस को भारत के और नजदीक लाने का काम किया वहीं ‘नमस्ते ट्रंप’ के द्वारा भारत अमेरिका की दोस्ती का नया इतिहास भी रचा। इतना ही नहीं पड़ोसी पाकिस्तान को उन्होंने कूटनीतिक और सामरिक दोनों मोचरे पर धूल चटाने में भी विश्व जनमत का समर्थन जुटाया। कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए नरेंद्र मोदी ने खाड़ी देशों से संबंधों को और मधुर किया तथा कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ उन्होंने अपनी केमिस्ट्री की मजबूत बॉन्डिंग बनाई। अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर सीएए तक उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल से पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग करके भारत की कूटनीति का संदेश दिया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अपने रणनीतिक कौशल से एक ही झटके में आंखें तरेर रहे चीन और नेपाल की हेकड़ी भी निकाल कर रख दी। कार्यकाल के उत्तरार्ध में जब पूरी दुनिया को कोरोना जैसी महामारी ने घेर लिया तो संकट के इस समय में सारी दुनिया के नेताओं को दिलासा देकर उन्होंने अपनी इमेज एक मजबूत वैश्विक नेता के रूप में निखारी। अपने पड़ोसी देशों के साथ ही साथ दुनिया के अन्य देशों को भी उन्होंने बड़े पैमाने पर ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ जैसी महत्वपूर्ण दवा और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराए। दुनिया में जहां कोरोना महामारी से निपटने में सरकारों के पसीने छूट रहे हैं वही विपदा की इस घड़ी में नरेंद्र मोदी न केवल इस महामारी का जमकर मुकाबला करने में जुटे है बल्कि दुनिया के अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को फोन कर उन्हें हिम्मत भी बंधा रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रधानमंत्री ने सुपर पावर अमेरिका से लेकर इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका समेत अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष से बात की और उन्हें समन्वित प्रयासों पर जोर देने के लिए कहा उल्लेखनीय है इससे पहले भी इस महामारी से लड़ाई को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क व जी-20 सम्मेलन की अगुवाई कर अपनी रणनीतिक कौशल का लोहा पूरी दुनिया को मनवा दिया। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री प्रतिदिन 2 से लेकर 3 अपने विदेशी समकक्षों से बात कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की कोशिशों का नतीजा है पूरी दुनिया भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है।
संयुक्त राष्ट्र संघ व विश्व स्वास्थ संगठन जैसी वैश्विक संस्थाएं भी प्रधानमंत्री के प्रयासों की न केवल सराहना कर रही हैं बल्कि भारत की कोशिशों पर नजर भी लगाए हुए हैं। संकट की इस घड़ी में विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन के द्वारा उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े एग्जिट प्लान को शुरू कर इतिहास रच दिया।
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