पदोन्नति में आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासत गरम

Last Updated 10 Feb 2020 06:27:18 AM IST

कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार नहीं मानने एवं इसे सरकार का विवेकाधिकार बताये जाने पर आज कड़ी आपत्ति व्यक्त की और इसके लिए केन्द्र एवं उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार बताया।


उच्चतम न्यायालय

पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा को संसद एवं सड़क दोनों जगह घेरने की रणनीति बनायी है।
कांग्रेस के महासचिव मुकुल वासनिक और दलित नेता उदित राज ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मुकेश कुमार बनाम उत्तराखंड सरकार मामले में हाल ही में फैसला सुनाया है कि सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण संविधान के माध्यम से वर्णित मौलिक अधिकार या सरकार का संवैधानिक कर्तव्य नहीं है बल्कि यह सरकारों का विवेकाधिकार है।
वासनिक ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले से असहमत है। यह फैसला भाजपा शासित उत्तराखंड सरकार के वकीलों की दलील के कारण आया है। इसलिए इस फैसले की जिम्मेदारी भाजपा की है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत एवं सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने आरक्षण को अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला बताते हुए इसे समाप्त करने की वकालत की थी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले भी उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के कारण केन्द्र को बैकफुट पर जाना पड़ा था। इससे साबित होता है कि भाजपा आरक्षण विरोधी है और दलितों एवं आदिवासियों के हित के विरुद्ध है। कांग्रेस इसके खिलाफ देश भर में आंदोलन करेगी और सोमवार को संसद में भी इस विषय को उठायेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सामाजिक रूप से उपेक्षित एवं प्रताड़ित वर्गों को न्याय दिलाने एवं उनके कल्याण के लिए समर्पित है।

उदित राज ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में एक मामले में केन्द्र सरकार ने इसी तरह के एक मामले में एकदम विपरीत रुख अपना रखा है। उसे बताना चाहिए कि उसका असली चेहरा क्या है। वर्ष 2014 से सरकार में कोई बड़ी भर्ती नहीं हुई है। निजीकरण बढ़ता जा रहा है। इसीलिये भाजपा को दलित विरोधी कहा जाता है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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