आंध्र में देशद्रोह के आरोप में पुलिस अधिकारी निलंबित
आंध्र प्रदेश सरकार ने कथित रूप से राष्ट्र द्रोह के आरोप में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को निलंबित कर दिया है। अधिकारी पर इजरायल की रक्षा निर्माण कंपनी को खुफिया जानकारी मुहैया कराकर 'राष्ट्रीय सुरक्षा' को खतरे में डालने का आरोप है।
![]() पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी ए.बी. वेंकटेश्वर राव |
आंध्र प्रदेश सरकार ने शनिवार देर रात एक आदेश जारी कर पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी ए.बी. वेंकटेश्वर राव को सुरक्षा उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया में गंभीर कदाचार के लिए निलंबित कर दिया।
मुख्य सचिव नीलम साहनी ने पुलिस महानिदेशक गौतम सवांग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर राव को निलंबित करने का आदेश जारी किया।
सरकारी आदेश (जीओ) कहता है कि अधिकारी को जनहित में निलंबन के तहत रखा गया है।
1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी को सरकारी अनुमति प्राप्त किए बिना विजयवाड़ा नहीं छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, पिछली सरकार के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस) के रूप में काम करते हुए, राव ने अपने बेटे व अकासम एडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ चेतन साई कृष्णा, को अवैध रूप से महत्वपूर्ण खुफिया और निगरानी अनुबंध देने के लिए इजरायल के रक्षा उपकरण निर्माता आरटी इंफ्लाटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर काम किया।
रिपोर्ट में कहा गया, "यह आरोपी अधिकारी और एक विदेशी रक्षा निर्माण फर्म के बीच एक सीधा सह-संबंध साबित करता है। इस प्रकार नैतिक आचार संहिता और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के नियम (3) (ए) का प्रत्यक्ष उल्लंघन दिखाता है।"
यह पाया गया कि राव के कृत्य से राज्य और राष्ट्र के प्रति विश्वसनीय सुरक्षा खतरा पैदा हो गया। उन पर खुफिया प्रोटोकॉल और पुलिस की प्रक्रियाओं का विदेशी रक्षा विनिर्माण फर्म के सामने स्पष्ट रूप से खुलासा करने का आरोप है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाने वाले राव को पिछले साल मई में वाईएस जगनमोहन रेड्डी के पद संभालने के बाद खुफिया प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। तब से वह पोस्टिंग के इंतजार में थे।
इससे पहले, अप्रैल में चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) द्वारा दायर एक शिकायत के बाद खुफिया प्रमुख के स्थानांतरण का आदेश दिया था। तत्कालीन विपक्षी दल ने आरोप लगाया था कि चंद्रबाबू नायडू राज्य में चुनाव प्रक्रिया को विफल करने के लिए पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल कर रहे थे।
वाईएसआरसीपी ने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी में करीब दो दर्जन वाईएसआरसीपी विधायकों के दलबदल के पीछे राव का हाथ था।
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