INX मीडिया : जानें क्‍या है यह पूरा मामला, जिसको लेकर मुश्किल में हैं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम

Last Updated 21 Aug 2019 12:03:41 PM IST

आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई पी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है। इस हेराफेरी मामले में चिदंबरम को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।


पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार कर दिया। वहीं उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल मैक्सिस भ्रष्टाचार मामले और धन शोधन मामले में मुकदमा चल रहा है।      

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एयरसेल मैक्सिस मामलों में चिदंबरम तथा उनके बेटे की जमानत संबंधी याचिकाएं निचली अदालत में लंबित हैं। दोनों को निचली अदालत ने गिरफ्तारी से 23 अगस्त तक अंतरिम राहत प्रदान की है।      

एयरसेल मैक्सिस मामलों में पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम को पहली बार पिछले साल जुलाई में अंतरिम राहत मिली थी। इसके बाद समय समय पर उनकी अंतरिम राहत की अवधि बढाई जाती रही है।      

पिछले साल 19 जुलाई को सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में चिदंबरम और कार्ति के नाम थे।       

सीबीआई जांच कर रही है कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने एक विदेशी कंपनी को एफआईपीबी को मंजूरी कैसे दे दी क्योंकि ऐसा करने का अधिकार केवल आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के पास ही होता है।      

प्रवर्तन निदेशालय एयरसेल मैक्सिस प्रकरण में धनशोधन के एक अलग मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में एजेंसी चिदंबरम से पूछताछ कर चुकी है और उनकी अग्रिम जमानत याचिका लंबित है।      

चिदंबरम 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल मैक्सिस सौदे तथा 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच कर रही एजेंसियों के दायरे में हैं। दोनों ही उपक्रमों को एफआईपीबी से मंजूरी संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में दी गई थी और तब चिदंबरम वित्त मंत्री थे।      

आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 में प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी में अनियमितताएं बरती गईं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में 2018 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया।       

चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई सारदा चिटफंड घोटाले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। उन पर 1.4 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत लेने का आरोप है। इस साल फरवरी में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी।      

प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम से एयर इंडिया से जुड़े एक खरीद मामले की जांच में सहयोग करने को कहा था। इस मामले में चिदंबरम के पूर्व मंत्रिमंडलीय सहयोगी प्रफुल पटेल से भी जांच एजेंसी ने पूछताछ की थी।      

इसके अलावा मद्रास उच्च न्यायालय ने चिदंबरम, नलिनी, कार्ति, कार्ति की पत्नी श्रीनिधि कार्ति चिदंबरम पर काला धन (अज्ञात विदेशी आय एवं परिसंपत्ति) तथा कर अधिनियम, 2015 के अधिरोपण के तहत मुकदमा चलाने के लिए पिछले साल नवंबर में आयकर विभाग द्वारा जारी मंजूरी संबंधी आदेश रद्द कर दिए थे। उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। फिलहाल यह मामला लंबित है।      

सीबीआई ने इन आरोपों की भी प्राथमिक जांच शुरू की है कि तमिलनाडु में एक होटल पूर्व वित्त मंत्री के एक संबंधी ने इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के अधिकारियों की कथित मिलीभगत से हड़प लिया है।      

इसके अलावा चिदंबरम के खिलाफ इशरत जहां मामले से जुड़े एक हलफनामे में कथित छेड़छाड़ करने से संबंधित शिकायत दिल्ली पुलिस में लंबित है। आरोप है कि जब हलफनामे में छेड़छाड़ की गई थी तब चिदंबरम गृह मंत्री थे।
 

भाषा
नई दिल्ली


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