चेक बाउंस कानून में संशोधन पुराने मुकदमों पर भी लागू होगा

Last Updated 30 May 2019 05:52:27 AM IST

चेक बाउंस को लेकर एक सितम्बर, 2018 से लागू संशोधित कानून पुराने मामलों पर भी अमल में लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अपील तभी स्वीकार की जाएगी जब ट्रायल कोर्ट से सजा प्राप्त शख्स न्यूनतम 20 फीसद रकम जमा कर देता है।


सुप्रीम कोर्ट

ट्रायल कोर्ट से मिली सजा भी उसी सूरत में स्थगित की जाएगी जब अभियुक्त चेक की रकम की 20 फीसद राशि अदालत में जमा कर देगा।
जस्टिस मुकेश कुमार शाह और एएस बोपन्ना की बेंच ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 148 में 2018 में संशोधन किया गया। अमूमन संशोधन कानून लागू होने की तारीख से लागू होता है। लेकिन चेक बाउंस के मामलों में संसद ने बहुत सोच-विचार के बाद नए प्रावधान को मंजूरी प्रदान की। संशोधित कानून साफतौर पर कहता है कि एक सितम्बर, 2018 से लागू कानून उन अपीलों पर लागू होगा जिनमें ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को सजा सुना दी है और वह जेल की सजा से बचने के लिए अपील दायर कर रहा है। ऐसे में उसकी जेल की सजा उसी सूरत में स्थगित की जा सकती है जब वह चेक बाउंस की रकम का न्यूनतम की 20 फीसद रकम और ब्याज का एक फीसद जमा कर दे।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चेक बाउंस का केस भले ही एक सितम्बर, 2018 से पहले दायर किया गया हो लेकिन यदि अपील इस तारीख के बाद दायर की जाती है तो नया संशोधन लागू होगा। मजिस्ट्रेट द्वारा दोषी करार दिए गए शख्स की अपील सुनवाई के लिए तभी स्वीकार की जाएगी जब वह सत्र अदालत द्वारा आदेशित रकम का भुगतान कर देता है।
 सुप्रीम कोर्ट ने सुरेन्द्र सिंह देशवाल उर्फ कर्नल एसएस देशवाल की याचिका पर यह अहम फैसला दिया। वीरेन्द्र गांधी ने चेक बाउंस का केस देशवाल के खिलाफ दायर किया था। पंचकूला की सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट के निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर देशवाल को चेक की 25 फीसद रकम जमा करने का आदेश दिया है। देशवाल का कहना था कि गांधी ने अगस्त 2018 में आपराधिक मुकदमा दायर किया था लिहाजा संशोधित कानून उसके केस में लागू नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को सिरे से नकार दिया। बेंच ने कहा कि संशोधित कानून में साफतौर पर कहा गया है कि अपील पर सुनवाई तभी मंजूर की जाएगी जब न्यूनतम 20 फीसद रकम जमा कर दी जाए। चूंकि अपील एक सितम्बर, 2018 के बाद दायर की गई, इसलिए नया संशोधन लागू माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस की रकम 60 दिन में जमा करने का कानूनी प्रावधान है। यह अवधि 30 दिन के लिए और बढ़ाई जा सकती है। मौजूदा केस में यह अवधि समाप्त हो गई है। सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए याची को रकम जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय दे दिया।
 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संशोधन का मुख्य उद्देश्य चेक बाउंस के मामलों को लंबा लटकाने से रोकना है। चेक बाउंस के मामलों में दोषी रकम जमा करने के बजाए अपील दर अपील दायर करता रहता है जिसका खामियाजा रकम गंवाने वाले को भुगतना पड़ता है। धारा 138 के तहत दोषी करार दिया गया शख्स मामले को लटकाना चाहता है जबकि जिस फरियादी ने अपनी वैध राशि पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, उसे लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

विवेक वार्ष्णेय/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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