राफेल के पेपर लीक से खतरे में राष्ट्रीय सुरक्षा
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका के साथ संलग्न दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
उच्चतम न्यायालय |
जिन लोगों ने दस्तावेज की फोटोप्रति पाने के लिए साजिश की है, उन्होंने न सिर्फ चोरी की है बल्कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। चोरी किए गए दस्तावेज लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका व्यापक रूप से वितरित की गई हैं और ये देश के शत्रु और विरोधियों के पास उपलब्ध है। हलफनामे में कहा गया है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। केन्द्र सरकार की सहमति, अनुमति या सम्मति के बगैर इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो प्रतियां करने और इन्हें पुनर्विचार याचिकाओं के साथ संलग्न करने की साजिश रची है और ऐसा करके ऐसे दस्तावेजों की अनधिकृत तरीके से फोटो प्रति बनाकर चोरी की है। इन लोगों ने देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है।
हलफनामे में कहा गया है कि हालांकि सरकार गोपनीयता बरतती है लेकिन पुनर्विचार याचिकाकर्ता संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के दोषी हैं जो समझौते की शतरे का उल्लंघन है। शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबधित मामले में आंतरिक गोपनीय वार्ता की चुनिंदा तौर पर और अधूरी तस्वीर पेश करने की मंशा से अनधिकृत रूप से प्राप्त इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं। रक्षा सचिव संजय मिश्रा ने हलफनामे में कहा है कि जिन्होंने इस लीक की साजिश की वह अनधिकृत तरीके से फोटोकापी करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों को लीक करने के अपराध सहित भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय अपराधों के दोषी हैं। हलफनामे में कहा गया है कि इन मामलों की अब आंतरिक जांच की जा रही है जो 28 फरवरी को शुरू हुई और इस समय प्रगति पर है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की तीन सदस्यीय बेंच के समक्ष राफेल मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को यह हलफनामा भी सामने आएगा। केन्द्र ने अदालत में जोर देकर कहा है कि सिन्हा, शौरी और भूषण याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबधित मामले में आंतरिक गोपनीय वार्ता की चुनिंदा तौर पर और अधूरी तस्वीर पेश करने की मंशा से अनधिकृत रूप से प्राप्त इन दस्तावेजों का इस्तेमाल अदालत को गुमराह करने के लिए कर रहे हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश दस्तावेज यह सामने लाने में विफल रहे हैं कि किस तरह से मुद्दों पर विचार किया गया और इन्हें हल किया गया तथा सक्षम प्राधिकारियों से आवश्यक मंजूरी प्राप्त की गई। रक्षा मंत्रालय ने हलफनामे में यह भी कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षा (कैग) की 2019 की भारतीय वायु सेना की कार्य निष्पादन आिरिपोर्ट संख्या-3 संसद में पेश की जा चुकी है और यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
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