सिर्फ बाबू ही सूचना आयुक्त क्यों : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से किया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने रिटार्यड और कार्यरत नौकरशाह को सूचना आयुक्त की कुर्सी थमाने पर सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम ने कहा, सर्च कमेटी सिर्फ बाबुओं को ही शार्टलिस्ट क्यों करती है जबकि आईएएस, आईपीएस के अलावा पत्रकार, प्रोफेसर और वकील भी सूचना आयुक्त के रूप के नियुक्त किए जा सकते हैं।
जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और एस अब्दुल नजीर की बेंच के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा, केंद्रीय सूचना आयोग में चार सूचना आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति कर दी गई है। बाकी रिक्त पदों के लिए चयन प्रक्रिया जारी है। एएसजी ने यह भी कहा, 14 लोगों को शॉर्टलिस्ट किया गया और उनमें से चार को चुना गया। इस पर बेंच ने कहा, 14 में से नौकरशाह के अलावा भी और कोई था? एएसजी ने कहा, 14 में 13 नौकरशाह थे जबकि एक रिटार्यड जज था।
सुप्रीम कोर्ट आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज, लोकेश बत्रा और अमृता जौहरी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र के साथ राज्यों में सूचना आयुक्त के अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं। इस कारण अपीलों का अंबार लग गया है। याची के वकील ने अदालत को बताया, उत्तर-प्रदेश में सूचना आयुक्त के सभी दस पद खाली पड़े हैं। पांच साल पहले नियुक्त सभी दस आयुक्त इस माह कर सेवानिवृत्त हो गए। उनकी जगह नय आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई है।
| Tweet |