EVM : हैकिंग व मर्डर मिस्ट्री, सरकार-विपक्ष सब एक्टिव
ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर यूं तो 2009 से सवाल उठ रहे हैं लेकिन 2014 के बाद यह मुद्दा बार-बार उठ रहा है।
ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल |
लेकिन दो दिन पहले लंदन में ईसीआईएल के लिए काम करने का दावा करने वाले सैयद शुजा की प्रेस कांफ्रेंस में किये गए तथाकथित खुलासों से नए सिरे सियासी घमासान शुरू हो गया है। क्योंकि उसके खुलासों में भाजपा नेता गोपी नाथ मुंडे, एनआई के अफसर तनजील अहमद और अपने 11 लोगों की हत्या की भी बात की है। शुजा ने दावा किया था कि इन लोगों की हत्या इसलिए हुई कि ये लोग ईवीएम हैक कर चुनाव जीतने की बात को जानते थे।
हैकर के दावे : इस मशीन को ब्लूटूथ की मदद से हैक नहीं किया जा सकता है। ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर की मदद से ही ईवीएम को खोला जा सकता है। इन ट्रांसमीटरों का इस्तेमाल 2014 के चुनाव में भी किया गया था। जिसकी वजह से भाजपा इतने बड़े बहुमत से जीती थी।
- कोई व्यक्ति ईवीएम के डेटा को मैन्युपुलेट करने के लिए लगातार पिंग कर रहा था। 2014 में भाजपा के कई नेताओं को इस बारे में जानकारी थी। जब उन्होंने एक अन्य भाजपा नेता तक यह बात पहुंचाई तो उनके साथ काम करने वाले व्यक्ति की हत्या करवा दी गई।
- भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की मौत दुर्घटना नहीं, हत्या थी। बाद में मुंडे की मृत्यु की जांच करने वाले एनआई अफसर तनजील अहमद की हत्या करा दी गई और इसे पारिवारिक रंजिश का नाम दे दिया गया। क्योंकि वह इसकी चार्जशीट फाइल करने वाले थे।
- ईवीएम हैक करने में रिलायंस कम्युनिकेशन भाजपा की मदद करता है।
दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज कर जांच करे : चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस को उस स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ शुजा के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने को कहा है, जिसने दावा किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में धांधली हुई थी और ईवीएम को हैक किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस को लिखे एक पत्र में कहा है कि सैयद शुजा ने आईपीसी की धारा 505 (1) का कथित तौर पर उल्लंघन किया है। यह धारा दहशत पैदा करने वाले अफवाह फैलाने से संबद्ध है।
ईसीआईएल ने शुजा के कंपनी से जुड़े रहने से किया इनकार : चुनाव आयोग के लिये ईवीएम बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इलैक्ट्रॉनिक कापरेरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) ने ईवीएम को हैक करने का दावा करने वाले स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ सैयद शुजा के 2009 से 2014 के बीच कंपनी के साथ किसी भी भूमिका में काम करने से इनकार किया है।
सिब्बल चाहते हैं इन मुद्दों की जांच : सिब्बल ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या विंड्स सोल्युशन ईसीआईएल के लिए काम कर रही थी।
- 13 मई को काकी रेड्डी गेस्ट हाउस में 13 मई 2014 की घटना सही है जिसका शुजा जिक्र कर रहा है कि वहां उसके 11 साथियों की हत्या कर दी गई। जिनके नाम भी उसने दिये हैं, तो उनके परिवार वगैरा के संबंध में जांच होगी तो पता चल जाएगा।
- यह गेस्ट हाउस विधायक किशन रेड्डी के ब्रदर इन लॉ का है या नहीं। किशन रेड्डी जब कमरे में आए तो शुजा का दावा है कि उसने कहा ‘चम्पई अंदेरकी’ यह क्या है।
- ईसीआईएल का सनतनगर में ऑफिस था। कुल 13 लोग टीम में थे। एमएस7बी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। जो नई जेनरेशन की ईवीएम बनाने के लिए था। इसके लिए पेमेंट हुआ होगा चैक से हुआ होगा तो इसकी जांच हो जाएगी। विंड सोल्युशन के मालिक का नाम कमल राव है वह कहां रहता है। इसका विवरण भी वह दे रहा है।
- शुजा का दावा है कि उसके भी गोली लगी और वह 15 मई 2014 को शिकागो चला गया। जहां वह 16 दिन डिटेंशन सेंटर रहा, 18 दिन अस्पताल में रहा। इस सबका रिकार्ड होगा। वहां उसे राजनीतिक शरण मिली है, जिसके दस्तावेज उसने दिखाए हैं। पत्रकार और सरकार इसकी जांच करेंगे, सब सही गलत सामने आ जाएगा।
- एक भाजपा नेता 25 जनवरी 2015 को अमेरिका में उससे जाकर मिले। नवम्बर 15 में एक पत्रकार मिलने गए यह भी शुजा का दावा है।
कपिल सिब्बल क्यों मौजूद थे
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल की उपस्थिति पर सवाल उठाए। प्रसाद ने इसे कांग्रेस द्वारा प्रायोजित अभियान बताते हुए कहा, सिब्बल वहां क्या कर रहे थे? वह किस औहदे से वहां मौजूद थे? मेरा आरोप यह है कि वह कांग्रेस की तरफ से कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए वहां थे। भाजपा नेता ने सिब्बल के इस दावे को भी खारिज किया कि वह निजी तौर पर वहां मौजूद थे। प्रसाद ने कहा कि वह वहां मौजूद होने के असर को भलीभांति जानते हैं। उन्होंने दावा किया कि सिब्बल जानबूझकर वहां मौजूद थे।
कपिल सिब्बल ने कहा, आशीष रे के निमंत्रण पर गया था
पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि लंदन में आयोजित हैकेथॉन में वह आयोजक एवं पत्रकार आशीष रे के निमंत्रण पर व्यक्तिगत हैसियत से गए थे। इससे कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। मेरी वहां मौजूदगी से असल सवाल खत्म नहीं हो जाता,जो हैकिंग से जुड़ा है। ईवीएम हैकिंग गंभीर विषय है और इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। साइबर विशेषज्ञ सैयद शुजा का दावा बहुत गंभीर है और इसकी जांच बहुत जरूरी है क्योंकि यह भारत में लोकतंत्र के भविष्य से संबंधित विषय है। सुप्रीम कोर्ट और कानून कहता है कि प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए, अगर कोई आरोप लगा रहा है तो यह पता करना जरूरी है कि आरोप सही हैं या नहीं। मुद्दा यह है कि क्या ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है? सिब्बल ने यह भी कहा कि ईवीएम से जुड़ा मामला राजनीतिक नहीं है बल्कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव का है। अगर हैकिंग का दावा करने वाले की बात गलत साबित होती है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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