..तो सेना अपने हाथों में ले सकती है शासन : जस्टिस अमिताव रॉय
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अमिताव रॉय ने कहा कि अगर न्यायपालिका ने विश्वसनीयता खोई तो सेना देश का शासन अपने हाथों में ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अमिताव रॉय (file photo) |
28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस रॉय ने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि अभिभावक के रूप में न्यायपालिका को अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहनी होंगी अन्यथा सैन्य शासन इंतजार कर रहा है.
जस्टिस रॉय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा 12 जनवरी के संवाददाता सम्मेलन का उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से जिक्र नहीं किया लेकिन जजों के मध्य उभरे मतभेद की पीड़ा उनेक अभिभाषण में साफ झलक रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि न्यायपालिका का आधार जनमानस का उस पर यकीन है. जनसाधारण की विसनीयता इतनी अधिक है कि महंगी और देरी के बावजूद लोग दूर-दराज से अदालत के दरवाजे पर फरियाद लेकर आते हैं. उनका न्यापालिका पर भरोसा कायम रहे, इसलिए हमें एकजुट रहना होगा. मतभेद हो सकते हैं पर मनभेद होना उचित नहीं. हम लोगों के सामने जर्जर चेहरा पेश नहीं कर सकते. अगर हमने ऐसा किया तो हम विसनीयता गंवा बैठेंगे. इसलिए सबको साथ-साथ रहना है.
चार वरिष्ठ जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ 12 जनवरी को तकरीबन बगावत कर दी थी. वह सीजेआई के कामकाज के तरीकों से संतुष्ट नहीं थे. चार जजों के बगावती तेवरों के बाद सीजेआई ने रोस्टर सार्वजनिक किया. जस्टिस रॉय ने कहा कि संगीत की धुन तभी मधुर होती है जब सभी यंत्र एकसाथ बजें. हमें संगीत की मधुरता लानी होगी. हर जज अपने आप में बेहतरीन है. उसकी बौद्धिक क्षमता पर किसी को संदेह नहीं है. लेकिन बात एकजुटता की है.
इस मौके पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस रॉय की विद्वता की चर्चा की. जस्टिस रॉय को उन्होंने एक शब्दकोष बताया जो उनके फैसलों में दिखती है. अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति उचित नहीं है. जब देश में औसत आयु लगातार बढ़ रही है तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र में भी इजाफा होना चाहिए.
vickyvarshney@gmail.com
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