जंतर-मंतर पर अन्ना का आंदोलन, मंच पर केजरीवाल और राहुल गांधी को नहीं मिलेगी जगह

Last Updated 23 Feb 2015 08:57:34 AM IST

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर दो दिवसीय आंदोलन सोमवार से शुरू होगा.


अन्ना के मंच पर राहुल को जगह नहीं (फाइल फोटो)

इस अध्यादेश को किसान विरोधी करार देते हुए रविवार को अन्ना ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्हें आम लोगों के साथ बैठना होगा. 

77 वर्षीय गांधीवादी नेता हजारे ने यह भी कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने अपील की कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता मंच पर ना आएं

उन्होंने कहा, ‘‘भूमि अध्यादेश किसानों के खिलाफ है. एक कृषि प्रधान देश में जब किसानों का उत्पीड़न हो तब सभी लोगों को एकजुट होकर खड़े होना चाहिए. इसलिए हम चाहते हैं कि चाहे केजरीवाल की पार्टी हो या कोई अन्य विपक्षी पार्टी, सभी कार्यकर्ताओं को इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.’’

हजारे ने यह भी कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस आंदोलन में शामिल होने की इच्छा जतायी है. हजारे ने कहा, ‘‘मैंने उनसे (केजरीवाल) कहा कि कार्यकर्ता मंच पर ना आयें, वे आंदोलन में शामिल हो सकते हैं. हम इस बारे में विस्तार से बात करेंगे क्योंकि मैं उनसे सोमवार को मुलाकात कर रहा हूं. हम बात करेंगे और अगला कदम तय करेंगे.’’

हजारे ने कहा, ‘‘अरविंद अब मुख्यमंत्री हैं. अरविंद को एक व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक मुख्यमंत्री के रूप में हमें उनके पद को सम्मान देना है या नहीं इसका निर्णय हम सोमवार को करेंगे. यदि सभी यह निर्णय करते हैं कि अरविंद को मंच पर बैठना चाहिए तो मुझे कोई समस्या नहीं है.’’

कांग्रेस की ओर से उनके आंदोलन को समर्थन देने की इच्छा जताये जाने के बारे में पूछे जाने पर भ्रष्टाचार निरोधक कार्यकर्ता हजारे ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे आंदोलनों का इस्तेमाल चालाकी से एक दूसरे के खिलाफ करती हैं. यदि कांग्रेस उपाध्यक्ष आंदोलन में शामिल होना चाहते हैं वह ‘‘आकर आम जनता के बीच बैठ सकते हैं.’’

हजारे किसान संघों के साथ मिलकर अध्यादेश के खिलाफ यहां जंतर मंतर पर दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन करेंगे जो सोमवार से शुरू होगा जब संसद का बजट सत्र भी शुरू होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘यह अध्यादेश किसानों के खिलाफ और उद्योग घरानों के पक्ष में है. ऐसा लगता है कि अच्छे दिन केवल उद्योग घरानों के लिए आये हैं.’’



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