भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार को लेकर राजी हुई सरकार
संसद के बजट सत्र में सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार को लेकर दो मुद्दों पर राजी हो गई है और इसे कानून का रूप देना चाहती है.
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर एकजुट विपक्ष |
दूसरी तरफ सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है. जबकि पूरा विपक्ष सरकार के इस सुधार पर राजी नहीं है. विपक्ष का कहना है कि ये अध्यादेश किसान विरोधी और गरीब विरोधी है.
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर भारतीय जनता पार्टी नेता संबित पात्रा ने बताया कि ये एक व्यापक अध्यादेश है. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किसानों को चार गुणा मुआवजा देने का प्रावधान रखा गया है.
उन्होंने कहा कि निश्चिच रूप से यह अध्यादेश किसानों और गरीबों का हितैषी है.
दूसरी ओर सरकार के इस अध्यादेश पर सभी विपक्षी दल लामबंद हो गए हैं. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का कहना है कि कृषि हमारा सबसे बड़ा उद्योग है. अगर सरकार इसके खिलाफ कुछ भी करती है तो हम नहीं होने देंगे और संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करेंगे.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि ये बिल और अध्यादेश किसानों के लिए ठीक नहीं है. साथ ही उन नीचले तबको के लिए भी ठीक नहीं है जिसे हमने सहारा दिया था। वहीं \'आप\' नेता आशुतोष ने भी इसे किसान विरोधी अध्यादेश बताया है. उधर इंडियन नेशनल लोकदल के सांसद दुष्यंत चौटाला ने भी इसे किसानों का विरोधी बताया है.
गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में जो सबसे विवादास्पद मुद्दे थे सरकार ने उस पर अपना रुख नरम किया है. अब औद्योगिक कारीडोर के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण में किसानों की सहमति ली जाएगी.
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अन्ना हजारे के मार्च से केंद्र सरकार में हड़कंप मच गया है. सरकार गौर कर रही है कि अध्यादेश को मौजूदा स्वरूप में पारित कराने में दिक्कत पेश आने पर क्या विकल्प हैं.
ऐसा भी संभव है कि विरोध के मद्देनजर केंद्र इस अध्यादेश को ठंडे बस्ते में डालकर अन्य विधेयकों को पहले पारित कराने का प्रयास करे.
केंद्र के भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे का मार्च शनिवार को बल्लभगढ़ के जेसीबी चौक तक पहुंच गया. अन्ना इस मुद्दे पर 24 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचकर भूमि अधिकार चेतावनी सत्याग्रह करेंगे.
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