स्टिंग ऑपरेशन करने वालों को आपराधिक कानून से मुक्ति नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्टिंग ऑपरेशन करने वालों को आपराधिक कानून से मुक्ति नहीं दी जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
स्टिंग ऑपरेटरों की सहभागिता होने पर उसे फौजदारी कानून के दायरे में खींचना गैरकानूनी नहीं है. स्टिंग करने वालों को यह कहकर छूट नहीं दी जा सकती कि उनके द्वारा किया गया काम जनहित में था.
चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने वकील आरके आनंद मामले में जनहित में किए गए स्टिंग ऑपरेशन को मंजूरी दी थी, लेकिन कानून प्रवर्तन के सभी मामलों के स्वीकार्य सिद्धांत के तौर पर इस तरह के तरीके को मंजूरी देने से जुड़े अनुपात को समझना मुश्किल है. बेंच ने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन ने कुछ नैतिक सवाल खड़े किए हैं.
पीड़ित को अपराध करने के लिए लालच दिया जाता है और इसके साथ पूरी गोपनीयता का भरोसा दिया जाता है. इन परिस्थितियों में यह सवाल खड़ा होता है कि किसी पीड़ित को कैसे अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए. अदालत ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन से एक और तथ्य सामने आता है कि किसी अपराध को साबित करने का तरीका खुद ही एक आपराधिक कृत्य होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमेरिका और कुछ अन्य देशों में स्टिंग आपरेशन को कानून प्रवर्तन का कानूनी तरीका माना गया है, लेकिन यह सीमित दायरे हैं और यह स्थिति भारत में नहीं है. अदालत ने उन दो आरोपियों की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया जिन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव का स्टिंग किया था और अवैध रूप से पैसे लेते पकड़ा था.
अदालत का यह फैसला व्यवसायी रजत प्रसाद और पत्रकार अरविंद मोहन की ओर से दायर याचिकाओं पर आया है. व्यवसायी ने 2003 में बदनीयती से भ्रष्टाचार के लिए षडय़ंत्र रचकर स्टिंग आपरेशन करने का आरोप लगाया था.
स्टिंग आपरेशन में तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के नई दिल्ली के एक होटल के कमरे में रुपए लेते दिखाया गया था. सीबीआई ने 16 नवम्बर, 2003 में इस मामले में एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज की थी. कथित तौर पर यह पैसा जूदेव की ओडिसा की खनन परियोजनाओं के समर्थन के लिए दिया गया था.
हालांकि प्रसाद का आरोप था कि स्टिंग को छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी की ओर से रचाए गए षडय़ंत्र के चलते अंजाम दिया गया ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें इसका राजनीतिक फायदा मिल सके.
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