संसद का शीतकालीन सत्र बृहस्पतिवार से
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की दशा और दिशा तय करेंगे.
चुनाव नतीजों से तय होगी बहस की दिशा |
हालांकि, सरकार ने काफी भारी भरकम विधायी कामकाज का एजेंडा सूचीबद्ध किया है जबकि विपक्ष 12 दिन के इस सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा है.
यह अभी भी अस्पष्ट है कि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए विधेयक इस सत्र में आ पाएगा या नहीं लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बारे में सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की है. विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमले की तैयारी की है और ऐसा पहले ही दिन से देखने को मिल सकता है क्योंकि भाजपा और वाम दल महंगाई को लेकर कल लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं.
तेलंगाना संबंधी विधेयक सरकार के 38 विधेयकों की सूची में नहीं है लेकिन सरकार ने तेलंगाना विधेयक को लेकर प्रक्रिया तेज करने का आश्वासन दिया है. एक मंत्री समूह तेलंगाना पर मसौदा विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रि या में है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी दी जाएगी. सरकार ने कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक और लोकपाल विधेयक उसके एजेंडे में शीर्ष पर हैं. इन दोनों ही विधेयकों को एक सदन पारित कर चुका है और दूसरे सदन में ये लंबित हैं.
चुनाव नतीजों से तय होगी बहस की दिशा
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही व्यावहारिक रूप से अगले सोमवार ही शुरू होने की उम्मीद है क्योंकि दो सदस्यों के निधन के कारण दोनों ही सदनों की बैठक बृहस्पतिवार से श्रद्धांजलि देने के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित हो जाएगी. राज्यसभा में भाजपा के उपनेता रवि शंकर प्रसाद ने पार्टी के वरिष्ठ सांसदों की एक बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि सत्र कैसे चलेगा, यह काफी कुछ विधानसभा के नतीजों पर निर्भर होगा.
सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है लेकिन यह काफी कुछ चुनावी नतीजों पर निर्भर होगा. बारह दिवसीय सत्र को बहुत कम बताते हुए विपक्ष ने इसे बढ़ाए जाने की मांग की, लेकिन सरकार ने इस बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया. विपक्ष ने इसे ‘मूर्खतापूर्ण’ बताया कि 38 विधेयकों की सूची के साथ सरकार केवल 12 दिन का सत्र लेकर आई है.
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